MITHILA BY AMRIT TRIPATHI
मिथिला
विधा :
उपन्यास
द्वारा :
अमृत त्रिपाठी
लोक
भारती प्रकाशन द्वारा प्रकाशित
पृष्ठ : 95
मूल्य :300
प्रथम
संस्करण : 2019
समीक्षा
क्रमांक : 178
सामान्य
भाषा शैली से ऊपर उठ कर यदि कुछ ऐसा जो सुंदर पठनीय तो हो किन्तु क्लिष्ट न हो , ऐसी भाषा में यदि एक श्रेष्ठ साफ सुथरी रचना
पढ़नी हो तो उन पाठकों के लिए प्रस्तुत पुस्तक एक श्रेष्ठ
एवं सुंदर चयन है ।
लेखक
युवा प्रशासनिक अधिकारी हैं एवं यह कहानी , जो
एक प्रेमकथा है जिसे अधूरी लिखना शायद उचित न हो
क्योंकि सीमित पात्रों के साथ जहां सारा भाव बहुत कुछ आत्मिक प्रेम पर केंद्रित है,
जिसमें शारीरिक आकर्षण को कोई स्थान नहीं फिर क्या शारीरिक मिलन को ही प्रेम की
पूर्णता कहना ठीक होगा , यह
मतांतर विषय है अतः विचार
पाठक स्वयं करें ,तो इस कहानी का नायक भी एक सुशिक्षित उच्च पदासीन अधिकारी है जो एक
ऐसी युवती के प्रेम में खो जाता है जो मानसिक स्तर पर उसके सापेक्ष होती है किंतुआत्मिक रूप से प्रेम करते हुए
भी अन्य कारणों से उसका प्रेम स्वीकार नहीं कर
पाती। कहानी में मिलाप वियोग के दृश्य ,
दाम्पत्य जीवन की कलहवश जीवन में
व्याप्त अशांति के चलते सामाजिक , एवं व्यक्तिगत रूप से हुई
अपूर्णीय क्षति इत्यादि सरसता से दर्शाये गये हैं ।
भाषा एवं वाक्य विन्यास स्तरीय है जिसमें कहीं भी उश्रृंखलता अथवा निम्न स्तर के शब्द प्रयुक्त नहीं किए हैं तथा प्रकृति वर्णन हो अथवा अन्य दृश्य प्रस्तुति , वाक्यों में लेखन के प्रति गंभीरता एवं भाषा पर गहरी पकड़ स्पष्ट दिखलाई पड़ती है।
एक अत्यंत साफ सुथरी रचना जिसे अवश्य पढ़ा एवं सराहा जाना
चाहिए। इस के बाद लेखक से और भी ऐसी ही स्तरीय
रचनाओं की अपेक्षा यदि पाठक करें तो गलत नहीं होगा। शुभकामनाएं
अतुल्य
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