ULTI GANGA BY PRAVEEN JHA

 

उल्टी गंगा

द्वारा : प्रवीण झा

विधा : कहानी संग्रह

मैंड्रेक प्रकाशन द्वारा प्रकाशित

संस्करण : 2021

मूल्य : 195/=

पाठकीय प्रतिक्रिया क्रमांक : 150



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प्रवीण कुमार झा मेरे लिए एक ऐसा नाम है जो सुन तो बहुत गया था किन्तु पूर्व में उनकी किसी पुस्तक से रूबरू होने का अवसर अभी तक नहीं  आया था तो उन्ही की कहानियों का संग्रह है उनकी पुस्तक “उलटी गंगा”।  यदि सच कहूँ तो पुस्तक को  यूं तो उस के कवर को देख कर ही चुना गया था पढ़ने के लिए किन्तु बाद में लेखक के विषय में भी जानकारी निकाली गई (जिसका बड़ा हिस्सा तो पुस्तक के पृष्ट पर मिल ही जाता है अतः इसमें मेरा कोई विशेष शोध नहीं रहा) तो पता चला की इन्हें पढ़ने में दरअसल मै ही पिछड़ गया हूँ। युवा लेखक हिन्दी  और अंग्रेजी में बहुतेरी पुस्तकें लिख चुके हैं एवं पेशे से एक चिकित्सक हैं साथ ही ऐसे लेखक हैं जो विभिन्न विधाओं  में लेखन कार्य करते रहते हैं। मूलतः  बिहार से हैं एवं विभिन्न राष्ट्रों में प्रवास करते हुए संप्रति नार्वे में निवास कर रहे हैं।



 उनकी पहली पुस्तक 'चमनलाल की डायरी' काफी सराही गई थी एवं बेस्ट-सेलर के तमगे से भी नवाजी गई थी (जब तलक किसी भी पुस्तक को स्वयम न पढ़ लूँ,  इस तरह के तमगे पर मुझे भरोसा थोड़ा कम ही होता है) बाद में उनके यात्रा वृत्तांत 'भूतों के देश में' और 'नास्तिकों के देश में' भी  प्रकाशित हुए थे। प्रवीण झा जी की पुस्तक “कुली लाइन्स” जो की हिन्दुस्तानी श्रमिकों के विदेश में एग्रीमेंट बेसिस पर काम हेतु ले जाए जाने को लेकर लिखी गई है  के  रिव्यूज भी काफी अछे दिख रहे हैं मीडिया पर,  एवं इसे एक शोधपरक ग्रंथ बतलाया जा रहा है, उसे पढ़ कर बाद में आपके सामने वास्तविकता रखूँगा।  हिन्दुस्तानी संगीत,  घरानों एवं परंपराओं पर भी उन्होनें लेखन किया है। संगीत इतिहास पर आधारित पुस्तक ‘वाह उस्ताद’ को कलिंग लिट्रेचर फ़ेस्टिवल 2021 ने “बुक ऑफ द ईयर” से नवाज़ा है।

उनके विषय में कहा जाता है की वे (प्रवीण झा ) विविध रुचि के लेखक हैं, जबकी मैं समझता हूँ की वे स्वयम को साहित्य की विभिन्न विधाओं के मार्फत अभिव्यक्त करने के प्रयास में निरंतर लगे रहते हैं  तथा इस तरह के लेखकों अथवा साहित्य साधकों के विषय में मेरा मत है की उनके भीतर इतना कुछ घुमड़ता रहता है की वे अपने भीतर की उस तमाम साहित्य संग्रह को बाहर लाने हेतु विभिन्न विधाओं का प्रयोग करते रहते हैं जब तलक की वे स्वयम संतुष्ट नहीं हों। यही कारण होता है की बहुतेरे लेखकों की विभिन्न विधाओं में सृजित रचनाएं हमें पढ़ने मिलती हैं। उनकी विभिन्न विधाओं में रचित कुछ खास पुस्तकें जिनके विषय में मुझे जानकारी प्राप्त हुई है वे हैं मैंड्रेक प्रकाशन से नॉर्वे की संस्कृति पर आधारित “ख़ुशहाली का पंचनामा”, वहीं “जे पी: नायक से लोकनायक तक”, “केनेडी:बदलती दुनिया का चश्मदीद,” “रेनैसॉँ: भारतीय नवजागरण की दास्तान,” “दास्तान ए पाकिस्तान” आदि भी पढ़ने की सलाह नेटिजंस द्वारा दी जा रही है  किन्तु मैं उनके विषय में कुछ पढ़ कर ही अपनी राय से आप को अवगत करूँगा।

यह कहना भी गलत ही होगा कि कहानियां संदेशात्मक हैं या सभी व्यंग्यात्मक है  किंतु इतना जरूर है की विषय वैविध्य है। हर कहानी एक अलग ही विषय की डगर पकड़ती है और बहुत ही सरल बोलचाल के लहजे में अपनी बात रखते हैं।  चंद कहानियों को छोड़ दें तो अधिकांश को लघुकथा से बस थोड़ी बड़ी कहानी की श्रेणी में रख सकते हैं।

उनकी कहानी पढ़ना किसी प्रकार का बोझ नहीं लगती अर्थात लेखक के कथानक में सहज प्रवाह है एवंकहीं भी वे  विषय को ढोते हुए अथवा खींचते हुए प्रतीत नहीं होते।  । विषय वैविध्य के साथ साथ रोचकता पाठक को कथानक से जोड़ कर रखती है ।  

बात करें भिन्न भिन्न कहानियों की तो कहानियों में बात नशे की है, बात समलैंगिक संबंधों की भी, बड़े शहरों में मशक्कत करता आम आदमी भी उन  की कहानियों का पात्र बनता है तो कुछ कहानियों में हमारे आपके बीच से ही लिए गए पात्र हैं जो आम तौर पर नज़र कम ही आते हैं और अगर गाहे बगाहे उनसे सामना हो भी जाता है तो हम आप या तो स्वयं को धन्य समझते हैं अथवा उनसे कन्नी काट आगे निकलने  को ही अपनी प्राथमिकता बना कर चलते हैं कुल मिला कर लब्बोलुआब यही है की पुस्तक उठा कर शुरू करने की देर है हर कहानी एक नए विषय को लिए हुए अत्यंत रोचक तरीके से लिखी है एवम उनकी सहज लेखन शैली  लेखन को पठनीय बनाती है एवम अंतिम कहानी तक प्रत्येक कहानी में रोचकता बना कर रखी गई है फलस्वरूप पाठक  निराश नहीं होते हैं ।

 “उल्टी गंगा” मेरे मतानुसार रोचक कहानियों का सुंदर संग्रह है एवं पढ़ा जाना एक सुखद अनुभव है।

अतुल्य

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