Gunah By Shakuntala Brijmohan

 

गुनाह 

विधा : कहानी

द्वारा : शकुंतला ब्रजमोहन

विश्व बुक्स द्वारा प्रकाशित 

मूल्य: 55/-

तृतीय संस्करण :  2010

पाठकीय प्रतिक्रिया क्रमांक : 153

 

प्रस्तुत पुस्तक "गुनाह" कुल जमा 15 कहानियों का संग्रह है, जो आकार में लघुकथा से कुछ ही बड़ी हैं किंतु कथानक प्रभावी है एवं कहन रोचक तथा सरल है ।

इसके पहले कभी  लेखिका का कोई अन्य कार्य देखने में नहीं आया एवम पुस्तक पर भी उन का कोई विवरण उपलब्ध नहीं है। तात्पर्य यह की प्रस्तुत कहानी संग्रह किसी नामचीन्ह रचनाकार की कृति है ऐसा तो नहीं लगता किंतु कहानियां अपनी पहचान बनाने में अवश्य ही कामयाब हुई हैं। साथ ही संस्करण भी तकरीबन 15 वर्ष पुराना मैं पढ़ रहा हूँ अतः लेखिका के विषय में बहुत ज्यादा जानकारी न हो पाना सामान्य ही है।    

रचनाकार से इतर बात रचनाओं की करें, तो कहन प्रभावी है तथा शैली एवं विषय कथानक के प्रति जुड़ाव एवम संबद्धता निर्मित करते हैं। विषय में विविधता  देखने को मिलती है साथ ही कम शब्दों में विचारों की स्पष्टता, वाक्यों का सुंदर गठन एवम संवादों की बेहतरीन अदायगी कहानी को रुचिकर बनाती हैं।

संग्रह की शीर्षक कथा  "गुनाह" कुछ कुछ सौतिया डाह और पश्चाताप केंद्रित है जहां बात दो बहनों के बीच की है और बेहद शालीनता एवम सरलता के साथ प्रेम की पराकाष्ठा के चलते व्यक्ति के मानसिक  पतन को भी दर्शाती है

तो वही कहानी "मानवता का पुजारी" एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो यूं यो बेशक तंगहाली में जी रहा है, गरीब है किंतु मानवता की दृष्टि में सचमुच अमीर है और उसकी अमीरी की मिसाल उसके अद्भुत कृत्य से मिलती है जो बहुत रोचक तरीके से कहानी में बयान किए गए हैं। कहानी “चालबाज” भी शादी के पूर्व के प्रेम उसमें किए गए वादे और शादी के बाद के हालात को  बहुत सच्चाई से बयान करती है।


"कलंकित अतीत"  एक खूबसूरत संयोग को बयां करते हुए सुखांत के साथ लिखी गई कहानी है जिस में  सहज विस्तार और वाक्यों के बीच सुंदर सामंजस्य एवम शब्दों का खूबसूरत प्रयोग देखने को मिलता है। सहज ही कहा जा सकता है की रचनाकार की किस्सागोई विलक्षण है। तो वहीं अबूझ चरित्र, वैभव और स्वार्थपरता अपने विविध विषय के चयन एवम कथानक से अंत तक पाठक को जोड़ कर रखने की कला हेतु याद किए जाने चाहिए। कहानी “बड़े घर की बहु” कहीं न कहीं मूल कथानक से बार बार भटकती सी प्रतीत हुई  एवम न तो पाठक को बांध पाने में सक्षम हुई न ही  अपना भाव स्पष्ट कर सकी। वहीं इस संग्रह की बेहतरीन कहानियों में  से एक “आखरी ख्वाहिश” है जहां प्रेम की पराकाष्ठा और सच्चे प्रेम की एक खूबसूरत तस्वीर प्रस्तुत कर दी है साथ ही मृत्यु के पश्चात आत्मा की उपस्थिति वाली बात भी रखी है जिसे अगर न भी माना जाए तो भी कहानी का मूल भाव एवं विषय प्रभावित करता है और सच्ची मोहब्बत की शक्ति एवं  प्रभाव दर्शाता  है। नारी विमर्श केंद्रित कहानी "राज" है जो प्रेम में पाए धोखे के फलस्वरूप मां बनी एक स्त्री तथा पति की मृत्यु के बाद घर वालों के जुल्मों से त्रस्त एक और अबला की कहानी है जहां नारी  शक्ति, संघर्ष एवम तपस्या की अद्भुत मिसाल दिखाती है।

संग्रह की कहानी "समय की गति" बताती है कैसे समय बदलते देर नहीं लगती और उस हालत में भी कुछ ऐसे लोग होते हैं जो यह साबित कर देते हैं की इंसान की परख बुरे समय में ही होती है और कठिन समय में भी वे  अपना धर्म, दोस्ती बरकरार रखते हैं और फर्ज तो कतई नहीं भूलते। कहानी "सौदा" लड़कियों को ब्लैकमेल करने वाले गिरोह को रंगे हाथों गिरफ्तार करवाने की कहानी है

कहानी "सेतु" पति द्वारा निरंतर दबाव बनाये जाने पर पढ़ी लिखी पत्नी द्वारा नौकरी करने से शुरू होती है किंतु शीघ्र ही  पारिवारिक क्लेश एवम बिखराव नजर आने लगते हैं अंत में कहानीकार ने दंपती का मिलन तो करवा दिया किंतु समझौता कैसे हुआ तथा विवादित  बिंदुओं पर सुलह कैसे हुई यह नहीं दिखलाया फलस्वरूप पाठक जो इतनी रुचि से पढ़ते हुए अंत तक पहुंचता है वह अंत में स्वयं को ठगा हुआ महसूस करता है। अन्यथा कहानी हर दृष्टि से उत्तम है ।

यहां पुनः यह बता देना मुनासिब होगा की प्रस्तुत पुस्तक की लेखिका के विषय में कोई विवरण उपलब्ध नहीं हैं कहानियों की उत्तमता देखते हुए प्रकाशक से भी email  पर संपर्क साधने का प्रयास किया गया  किंतु अभी तक तो कोई जवाब  नहीं मिला है।

संग्रह की एक और कहानी “भाग्य का खेल” को यूं तो पुरानी मान्यताओं वाली कहा जा सकता है की 50  के दशक की कहानी है जिसमें पति ही देवता है चाहे कैसा भी हो वाली मान्यता हुआ करती थी किंतु इस दौर में भी लेखिका ने नारी शक्ति एवम ज्ञान का जो बखान किया है वह प्रेरणा दाई है। संग्रह की अंतिम कथा "नेकी कर दरिया में डाल" के द्वारा यह पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया गया है की बुराई का उत्तर भलाई से देकर ही पुण्य अर्जित किया जा सकता है। कहानी पुरानी ऊंची नीची जाति वाली कुरीति पर भी चोट करती है ।

संग्रह में संकलित सभी कहानियां, विषय,भाषा शैली एवं वाक्य विन्यास तथा व्याकरणीय दृष्टिकोण से श्रेष्ठ हैं।

पुस्तक यदि  उपलब्ध हो तो पढ़ी जाने योग्य है तथा सामान्य  मनोरंजन हेतु उत्तम की श्रेणी में रखी जा सकती है।  

अतुल्य

9131948450

 

 

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