Dark Horse By Nilotpal Mrinal

 

डार्क हॉर्स  एक अनकही दास्तां

विधा : उपन्यास 

द्वारा : नीलोत्पल मृणाल

हिंद युग्म द्वारा प्रकाशित

संस्करण वर्ष :  2017

मूल्य : 175.00

पाठकीय प्रतिक्रिया क्रमांक : 154


दिल्ली मुखर्जी नगर ,दिल्ली का एक प्रमुख इलाका , जो उत्तर दिल्ली में स्थित है  जिसका नामकरण यूं तो एक स्वतंत्रता सेनानी और हिंदू महासभा के नेता स्वामी श्रद्धानंद मुखर्जी के नाम पर किया गया था, किन्तु वर्तमान में मुख्य तौर पर इसे कोचिंग संस्थानों के लिए जाना जाता है और विशेष तौर पर IAS प्रतिभागियों का तो यह मक्का मदीना है और फिर मुखर्जी नगर का बत्रा  मार्केट तो  एक ऐसी जगह है जहां शायद ही ऐसा कोई युवा जिसने IAS बनने का सपना देखा हो और न गया हो या कमस्कम एक बार जाने की चाहत न रखता हो ।


हाल ही में कहीं पढ़ा था की हमारे यहां युवा जो स्वप्न देखते हैं वे भी बहुत कुछ क्षेत्रवार निश्चित से ही हैं जैसे पंजाब का युवा चाहता है उसका एक वीडियो एलबम आ जाए तो हरियाणे के बंदे का स्वप्न होता है नई बुलेट और किसी खेल में एक पदक वहीं बिहार का युवा स्कूल जीवन में भले ही धक्के लगा के अगली कक्षा तक पहुंच रहा हो  पर उसके भी ख्वाब  भारतीय प्रशासनिक सेवा( IAS) में जाने के ही होते हैं । यह  एक ऐसा दिवा स्वप्न है जो विशेष तौर पर बिहार में अमूमन हर उस परिवार में जहां कोई युवा  कालेज पढ़ रहा है अवश्य ही देखा जाता है और न सिर्फ अकेला वह वल्कि संपूर्ण परिवार अत्यंत श्रद्धा एवम विश्वास से इस स्वप्न को जीता है, भले इसके लिए अपनी जरूरतों में कटौती करें या फिर खानदानी जमीन को गिरवी रखा जाए किंतु दिल्ली जाकर IAS की तैयारी करने का जज्बा कभी घटता नहीं है पर यह तो संभव नहीं की हर वह शख्स जो  IAS  बनने के ख्वाब देख कर मुखर्जी नगर  आ गया वह IAS  बन कर ही जाएगा ।

इस में दो मत नहीं कि यहाँ किसी भी अन्य शहर की तुलना में IAS के लिए बेहतर कोचिंग है संस्थान हैं उच्च स्तरीय अद्यतन अध्ययन सामग्री है, नोट्स हैं ऐवम कोचिंग संस्थानों के बीच भी छात्रों / अभ्यर्थियों को बेहतर विकल्प उपलब्ध हैं जहां उन्हें उनके गृह नगर की तुलना में कठिन प्रतिस्पर्धी माहौल मिलता है जिसका मुख्य कारण IAS कोचिंग के लिए छात्रों का बड़ा समुदाय है, जो लगभग सारे भारत से आते हैं वहीं छात्रों की कोचिंग के चलते परिवारों पर आर्थिक दबाव के साथ साथ अभ्यारथियों पर तनाव एवं बेहतर प्रदर्शन के साथ सफलता का दबाव उस पर घर परिवार से विछोह ,अलगाव,  और अकेलापन कुछ ऐसे तथ्य अथवा मुद्दे हैं जो अमूमन प्रत्येक प्रतिस्पर्धी महसूस करता है और इन सभी बिंदुओं पर नीलोत्पल जी ने अत्यंत रोचक तरीके से कथानक के मध्यम से सभी के मन की बात सामने रख दी है।

एक बात यहाँ जरूर कहना चाहूँगा की दिल्ली में IAS कोचिंग के लिए रहने वाले बाहर के छात्रों के लिए मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना अत्यंत  महत्वपूर्ण है । छात्रों के लिए मानसिक तनाव का सामना करना एक बड़ी चुनौती है।

 परिवार की अपेक्षाएं ,परीक्षा की प्रतिस्पर्धा, आर्थिक तंगी, बेहतर विषय का चयन , सामाजिक प्रतिष्ठा के साथ ही सीमित समय एवं गिनती के  अटेम्पट्स छात्रों को  अवसाद , चिंता , अनिद्रा, घटता आत्म विश्वास एवं मानसिक थकान दे जाते है जहां कई छात्र असफलता के कारण कुछ गलत कदम भी उठा लेते है । जबकी यह सदैव स्मरण रहे की  हर व्यक्ति हर काम के लिए नहीं बना एवं यह संभव ही नहीं है अतः हमें सदैव अपनी योग्यता अनुसार ही कार्य करना चाहियरे तथा असफलता की स्थिति में अन्य विकल्पों पर भी ध्यान देना चाहिए।  

नकली कोचिंग संस्थान ,फीस की धोखाधड़ी , शत प्रतिशत   सफलता के झूठे वादे करने वाले संस्थानों एवं उनके दलालों से भी छात्रों को सावधान रहना चाहिए और कोचिंग संस्थान की पृष्ठभूमि की जांच अवश्य ही करनी चाहिए। ये सभी मुद्दे भी बेहद रोचक तरीके से पुस्तक के कथानक में पिरोये गए हैं। इस स्थान पर उल्लेख करना विषयांतर नहीं होगा की नीलोत्पल जी पात्र के विषय में अत्यंत अल्प शब्दों में ही इतना कुछ बता जाते हैं की पात्र अपने समग्र रूप में हमारे सामने उपस्थित होता है एवं पाठक को पात्र के विषय में समझने में किसी प्रकार की मुश्किल पेश नहीं आती। वे स्वतः ही उस के व्यक्तित्व को परख लेते हैं।     

मुखर्जी नगर और IAS प्रतिभागियों की विषयवस्तु पर यूं तो कई उपन्यास लिखे जा चुके हैं  और नीलोत्पाल मृणाल  की यह पुस्तक भी  बहुत कुछ उसी आधार पर है जैसी कुछ समय पहले संजीव गंगवार की “B-15 B फ़ोर्थ फ्लोर”मैंने पढ़ी थी । मूल रूप में देखें तो दोनो ने ही उस माहौल का चित्रण किया है जिस से  इस कठिन परीक्षा की तैयारी करने वाले युवा गुजरते हैं  प्रीलिम्स , मैंस के बीच झूलती आशावाद से लबरेज  जिंदगियां और उसी से जुड़े हुए उनके रिश्ते । और दोनों ही लेखकों ने एक सुंदर विषय को बहुत ही प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया है ।

संजीव जी की पुस्तक के विषय में जानने के लिए पाठकीय प्रतिक्रिया क्रमांक  45   देख सकते हैं जो मैंने दिनांक 21.05.2023  को फेस बुक पर पोस्ट की थी साथ ही इसे रिव्यू स्टेशन पर और मेरे ब्लॉग पर भी पढ़ा जा सकता है।     

बात  करें “डार्क हॉर्स” की तो नीलोत्पाल मृणाल जी का किस्सा बयान करने का लहज़ा सरलता से पाठक को बांधे रखता है , कहानी के अगले चरण के प्रति उत्सुकता बनी रहती है, वहीं बाज दफे स्वयं को भी इस कथानक का  एक हिस्सा जैसा ही लगने लगता है। भावनात्मक स्तर पर भी किस्सागोई बेहतरीन है। सभी पात्र जो बिहार से आए हुए हैं उनकी बात चीत का लहजा और उनके द्वारा कही गई बातों को उन्हीं के तरीके में उसी बोली में यथावत रखा गया है जो कथानक को रोचक तो बनाता ही है वास्तविकता के बहुत करीब ले जाता है।  

मुख्य किरदार संतोष का पात्र अच्छा गढ़ा गया है जिसके मार्फत बहुतेरे उतर चढ़ाव प्रेम वियोग दर्द और खुशी के भाव दिख लाए गए है वही अन्य पात्रों यथा रायसाहब , गुरु ,जावेद या फिर मनोहर के द्वारा भी IAS कोचिंग की राजधानी मुखर्जी नगर के एक बहुत बड़े वर्ग को कथानक में चित्रित कर दिया है । 

इस विषय पर चंद उपन्यास पहले भी लिखे जा चुके है और आगे भी लिखे जाते रहेंगे किंतु यह कहा जा सकता है की "इस में कुछ तो बात है" ।

अतुल्य

9131948450

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