Subakte Pannon Par Bahas By Devendra Dhar
 
  सुबकते पन्नों पर बहस   विधा : काव्य   द्वारा : देवेंद्र धर   विंब- प्रतिविम्ब प्रकाशन द्वारा प्रकाशित     प्रथम संस्करण : 2023   मूल्य: 300   समीक्षा क्रमांक : 142                                                                          “अब मै वो गीत नहीं लिखूंगा   जो कानों तक नहीं पहुंचते     जब भिवगीत लिखता हूं     वो बांझ हो जाते हैं     नपुंसक हो जाते हैं ये गीत     स्याही बंजर हो जाती है     क्या करोगे वो गीत लिख कर     जो टूटे फूटे चल रहे हैं     फिर भी गीत लिखना मजबूरी है     कविता का अपने अस्तित्व को खोते हुए   अपने मूल   उद्देश्य को न पाना उक्त पंक्तियों में स्पष्ट रूप से लक्षित होता है बार बार कविता की असफलता और अपनी मजबूरी झलका ता है। ये सुंदर एवं भावपूर्ण पंक्तियां हैं हिमाचल की खूबसूरत वादियों के कवि देवेंद्र धर जी के काव्य संग्रह "सुबक...
 
