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Kuchh Khas Nahin By Satish Sardana

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  “कुछ खास नहीं   कहानी संग्रह “कुछ खास नहीं” द्वारा : सतीश सरदाना विम्ब प्रतिबिंब प्रकाशन द्वारा प्रकाशित   मूल्य : 250.00 पुस्तक समीक्षा क्रमांक : 9 2 सतीश सरदाना जी का समीक्षाधीन कथा संग्रह “कुछ खास नहीं” 17 बेजोड़ कथाओं का संग्रह है जो कि निश्चय   ही एक   संग्रहणीय   कृति है।   मूलतः भाव को आकार देती रचनाएं हैं  इस के पूर्व सरदाना जी का काव्य संग्रह “माँ  अंधेरा ढोती थी”  प्रकाशित हुआ था एवं     विभिन्न पत्र पत्रिकाओं   इत्यादि में उनकी रचनाएँ निरंतर प्रकाशित होती ही   रहती हैं ।   प्रचार प्रसार से दूर निरंतर स्तरीय साहित्य सृजन में   व्यस्त रहने वाली शख्शियत सरदाना जी सुस्थापित साहित्यकार हैं ।   इस पुस्तक के पूर्व मैने   उनके कविता संग्रह “माँ   अंधेरा ढोती थी” कि समीक्षा की थी एवं तभी यह स्पष्ट हो गया था कि   सतीश सरदाना जी की लेखनी में वह बात है की वे अत्यंत शांत भाव से   अपने भाव व्यक्त कर देते है , वर्तमान में जो भी घटित हो रहा है वह उनकी कविताओं में अथवा उनकी कहानियों के कथानक में स्पष्ट दिख जाता है और जहां वे खुलकर नहीं आते वहाँ कथानक   के भाव यह स्पष्ट कर देत

Ye Rasta Kahin Nahin Jata By Ramesh Khatri

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  ये रास्ता     कहीं नहीं जाता द्वारा      : रमेश खत्री मोनिका प्रकाशन जयपुर द्वारा प्रकाशित  विधा : उपन्यास  “ये रास्ता कहीं नहीं जाता”      वरिष्ठ कथाकार रमेश खत्री द्वारा मूलतः नारी विमर्श पर केन्द्रित रहते हुए निम्न वर्गीय समाज के विभिन्न पात्रों को भिन्न भिन्न काल , परिस्थितियों एवं सामाजिक परिवेश में विभिन्न परेशानियों एवं विषम हालात में डूबते उतराते हुए उनकी मानसिकता एवं व्यवहार को बखूबी प्रस्तुत किया गया है ।    लेखक  : वरिष्ठ कथाकार , समालोचक रमेश खत्री जी दीर्घ काल से साहित्य सृजन एवं प्रकाशन के क्षेत्र से सम्बद्ध हैं   एवं साहित्य की अमूमन प्रत्य्र्क विधा में उनकी विभिन्न पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है,   पूर्व में वे आकाशवाणी से सम्बद्ध रहे साथ ही उनका साहित्य संग रिश्ता भी निरंतर बना रहा है।   उनके विभिन्न कहानी संग्रह जैसे “साक्षात्कार” “देहरी के इधर-उधर” ‘” महायात्रा” ,”ढलान के उस तरफ” ,    “ इक्कीस कहानियां” आदि प्रकाशित हुए हैं वही कहानी संग्रह “घर की तलाश” आलोचना ग्रंथ “आलोचना का अरण्य” व आलोचना का जनपक्ष हैं प्रस्तुत उपन्यास “यह रास्ता कहीं नहीं जाता”   

Bahadur Rajkumari By Sanjeev Kumar Gangvar

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  समीक्षा क्रमांक : 90 बहादुर राजकुमारी बालकथा संग्रह द्वारा : संजीव कुमार गंगवार नवीन प्रकाशन कोलकता द्वारा प्रकाशित मूल्य : 250/- संजीव गंगवार जी साहित्य सृजन में अपने सतत श्रेष्ठ सृजन हेतु बखूबी पहचाने जाते हैं , विगत तकरीबन 25 वर्षों से वे अनगिनत रचनाओं के संग साहित्य सृजन में सक्रिय बने हुए हैं।     साहित्य की अमूमन प्रत्येक विधा में उन्होनें अपना योगदान दिया है व उनकी कृतियाँ प्रबुद्ध पाठक वर्ग द्वारा बेहद सराही गई हैं।     बाल साहित्य सृजन में पूर्व में भी उन्होनें कविताएं रच कर विभिन्न   बाल काव्य संग्रहों   के रूप में प्रकाशित किया था।     प्रस्तुत पुस्तक के द्वारा उन्होनें बाल सुलभ जिज्ञासाओं एवं उम्र के सबसे खूबसूरत दौर की रुचियों   के दृष्टिगत बालकथाओं का सृजन किया है एवं 14 बाल कथाओं को “बहादुर राजकुमारी”   कथा संग्रह के द्वारा प्रस्तुत किया है।       हाल फिलहाल में बाल साहित्य सृजन के क्षेत्र में भिन्न भिन्न कथाकारों द्वारा बाल कविताएं एवं कहानियाँ आदि सृजित कर अत्यंत सराहनीय कार्य किया जा रहा है   ऐसे में यह विचारण भी अनिवार्य हो जाता है की यह भी स्पष्ट हो की