Kuchh Khas Nahin By Satish Sardana
“कुछ खास नहीं कहानी संग्रह “कुछ खास नहीं” द्वारा : सतीश सरदाना विम्ब प्रतिबिंब प्रकाशन द्वारा प्रकाशित मूल्य : 250.00 पुस्तक समीक्षा क्रमांक : 9 2 सतीश सरदाना जी का समीक्षाधीन कथा संग्रह “कुछ खास नहीं” 17 बेजोड़ कथाओं का संग्रह है जो कि निश्चय ही एक संग्रहणीय कृति है। मूलतः भाव को आकार देती रचनाएं हैं इस के पूर्व सरदाना जी का काव्य संग्रह “माँ अंधेरा ढोती थी” प्रकाशित हुआ था एवं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं इत्यादि में उनकी रचनाएँ निरंतर प्रकाशित होती ही रहती हैं । प्रचार प्रसार से दूर निरंतर स्तरीय साहित्य सृजन में व्यस्त रहने वाली शख्शियत सरदाना जी सुस्थापित साहित्यकार हैं । इस पुस्तक के पूर्व मैने उनके कविता संग्रह “माँ अंधेरा ढोती थी” कि समीक्षा की थी एवं तभी यह स्पष्ट हो गया था कि सतीश सरदाना जी की लेखनी में वह बात है की वे अत्यंत शांत भाव से अपने भाव व्यक्त कर देते है , वर्तमान में जो भी घटित हो रहा है वह उनकी कविताओं में अथवा उनकी कहानियों के कथानक में स्पष्ट दिख जाता है और जहां वे खुलकर नहीं आते वहाँ कथानक के भाव यह स्पष्ट कर देत