Bahadur Rajkumari By Sanjeev Kumar Gangvar
समीक्षा क्रमांक : 90
बहादुर राजकुमारी
बालकथा संग्रह
द्वारा : संजीव कुमार गंगवार
नवीन प्रकाशन कोलकता द्वारा
प्रकाशित
मूल्य : 250/-
संजीव गंगवार जी साहित्य सृजन में अपने सतत श्रेष्ठ सृजन हेतु बखूबी पहचाने जाते हैं , विगत तकरीबन 25 वर्षों से वे अनगिनत रचनाओं के संग साहित्य सृजन में सक्रिय बने हुए हैं। साहित्य की अमूमन प्रत्येक विधा में उन्होनें अपना योगदान दिया है व उनकी कृतियाँ प्रबुद्ध पाठक वर्ग द्वारा बेहद सराही गई हैं। बाल साहित्य सृजन में पूर्व में भी उन्होनें कविताएं रच कर विभिन्न बाल काव्य संग्रहों के रूप में प्रकाशित किया था। प्रस्तुत पुस्तक के द्वारा उन्होनें बाल सुलभ जिज्ञासाओं एवं उम्र के सबसे खूबसूरत दौर की रुचियों के दृष्टिगत बालकथाओं का सृजन किया है एवं 14 बाल कथाओं को “बहादुर राजकुमारी” कथा संग्रह के द्वारा प्रस्तुत किया है।
हाल फिलहाल में बाल साहित्य सृजन के क्षेत्र
में भिन्न भिन्न कथाकारों द्वारा बाल कविताएं एवं कहानियाँ आदि सृजित कर अत्यंत
सराहनीय कार्य किया जा रहा है ऐसे में यह
विचारण भी अनिवार्य हो जाता है की यह भी स्पष्ट हो की बाल साहित्य क्या व कैसा हो
जो अपनी प्रामाणिकता सिद्द करे एवं सच में बाल पाठकों हेतु उपयुक्त एवं
लाभकारी भी हो।
मेरी दृष्टि में
बाल साहित्य को समर्पित, रोचक, शिक्षाप्रद, और सामाजिक
होने के साथ साथ एक निश्चित सीमा तक भावनात्मक भी होना चाहिए। विषय चयन में विशेष
सावधानी बरती जाना चाहिए, विषय ऐसे ही चुने जाएं जिसमें बच्चों
की रुचि हो व जिससे उन्हें उत्साहित किया जा सके और उनकी रूचि को विकसित किया जा सके। साथ ही, इसके द्वारा नैतिक मूल्यों और अच्छे संस्कारों को बढ़ावा देने के प्रयास
भी अवश्य ही किए जाना चाहिए।
बाल साहित्य को सरल बोधगम्य भाषा में रचा जाना चाहिए,
ताकि बच्चों को उनके द्वारा अपने सामान्य जीवन की समस्याओं का सामना करने की
क्षमता और समझदारी विकसित हो सके। उसे चित्र, गीत इत्यादि से सुसज्जित किया जाना
चाहिए, ताकि बच्चों की रुचि जागृत हो। उत्कृष्ट
बाल साहित्य को हर स्तर पर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए एवं वे साहित्य सृजक जो
बच्चों की भावनाओं को समझते हैं और उन्हें समृद्धि और शिक्षा का मार्ग दिखाने में
सक्षम होते हैं उन्हें विशेष तौर पर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। बाल साहित्य में
ज्ञान, शिक्षा, और मनोरंजन के संतुलन
को बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है।
उम्र के दृष्टिगत , बच्चों के विकास में परी कथाएं और
राजा-रानी के किस्से महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करते हैं। ये कहानियां नैतिक
मूल्यों, शिक्षा, और संस्कृति को समझाने में मदद करती हैं। इन
कथाओं के माध्यम से बच्चों को सही और गलत की पहचान होती है, और
उन्हें सामाजिक मूल्यों के प्रति समझदार बनाती हैं। राजा-रानी के किस्से भी
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक ज्ञान को संजोए रखने में मदद करते हैं, और बच्चों को समर्थन और सहायता का भाव बढ़ाते हैं। अतः उस तरह की कथाओं का
समावेश भी बाल साहित्य में किया जाना चाहिए , साथ ही बाल साहित्य में बच्चों को
अपनी माटी अपनी संस्कृति से भी परिचित करवाने का दृष्टिकोण रखा जाना चाहिए।
वर्तमान समय में परी कथाओं और जादुई चिराग जैसी
कहानियों का भविष्य भी उज्ज्वल प्रतीत होता है , आधुनिक टेक्नॉलजी के सहयोग से
उनके सीमित दायरे के आगे बढ़ने की संभावना है। विज्ञान और तकनीक के विकास के साथ, दुनिया में नए-नए रूपों में कहानियों को प्रसारित करने के लिए नए माध्यम
उपलब्ध हो रहे हैं डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और
रियलिटी टेक्नोलॉजी के विकास से, कहानियां और भी अधिक रंगीन
,रोचक ,अधिक इंटरैक्टिव और सजीव हो उठती हैं , एवं पाठक
उनमें सक्रिय भागीदारी अनुभव करते हैं।
प्रस्तुत कहानी संग्रह में भी संजीव जी ने बच्चों की पसंद का बहुत अच्छे से ध्यान रखा है एवं पहली ही कहानी “ राजकुमार विक्रम” , अच्छे एवं अच्छाई की जीत की कहानी है जो की सौम्य राजा , कुटिल रानी व सुंदर राजकुमारी से विवाह पर केंद्रित हो लिखी गई है। रोचक है व अंत तक पाठक को सम्बद्ध रखती है , साथ ही भाषा भी सरल है जो बच्चों को सहजता से समझ आएगी। बच्चों की रुचि को ध्यान में रख कर कहानी के किसी भी भाग को बोझिल अथवा क्लिष्ट नहीं होने दिया गया है।
वहीं “जादुई बाँसुरी” बच्चों में परोपकार , आपसी
प्रेम तथा सौहार्द विकसित करने में सहायक
होती है। भाई बहन की कहानी को खूबसूरती से विस्तारित किया
गया है तथा लेखक अपने संदेश को पाठक तक पहुचाने में सफल हुए हैं। माता पिता की भूमिका भी इस तरह से लिखी गई है जो पालकों को बच्चों के
संग किए जाने वाले व्यवहार के विषय में बतलाती है।
एक अन्य कहानी “राजू बन गया हीरो” कम उम्र में ही
बच्चों में दोस्ती व ईमानदारी के सद्गुणों के बीज रोपित करने वाली है स्कूल में
बच्चों के व्यवहार , शिक्षक की प्रतिक्रिया व सीख अत्यंत सहजता से संक्षेप में
दर्शा दी गई है।
“बुढ़िया का आशीर्वाद” भी एक ऐसी कहानी है जो
बच्चों के लिए अत्यंत शिक्षाप्रद होते हुए
उन्हें ईमानदार , सत्यवक्ता व मेहनतकश होने की सीख देती है। कहानी को रुचिकर बने हेतु राक्षस जैसे कल्पित
पात्र भी सृजित किये हैं।
तो वहीं कहानी “तीन तिगाड़ा” 3 बच्चों की कहानी है जो कि आपस में बहुत अच्छे दोस्त हैं। यह कहानी
दोस्तों की आपसी बॉन्डिंग दर्शाती है। साथ ही बच्चों की स्कूल बैग
में छुपा कर कॉमिक्स ले जाने की बुरी आदत को भी उठाती है जो कि बच्चों के लिए सीख
भी है।
पर्यावरण संरक्षण के विषय में अत्यंत विस्तार एवं
सरलता से सीख देती हुई कहानी है “सोनू खरगोश की समझदारी” जो पर्यावरण के प्रति
जागरूक तो करती ही है भ्रष्टाचार के प्रति भी आगाह करती है।
जीवन को सुंदरता से जीने हेतु अनिवार्य गुणों, धैर्य,
साहस, एवं एकता को बच्चों में स्थापित
करने में बेहतर भूमिका अदा कर सकती है
कहानी “परियों का देश”।
ऐसी हालत में
जब भारी बारिश एवं बांध फूट जाने के कारण बाढ़ जैसे हालात बन जाएं तब उसमें फंसे कुछ कम उम्र स्कूली बच्चे अपनी सूझबूझ, साहस, एवं आपसी सहयोग
से न सिर्फ स्वयं सुरक्षित अपने घरों तक पहुचते हैं अपितु राह में मिलने वाले अन्य
परेशान लोगों तथा प्राणियों की भी मदद करते हैं। सरल भाषा मे कहानी के माध्यम से अच्छी
सीख दी गयी है। कठिन परिस्थितियों में भी
अपने होश न खोना व मानसिक संतुलन बनाए रखते हुए नेतृत्व करने की प्रतिभा का विकास
बालपन से ही कर दिया जाना चाहिए जो की भविष्य में बच्चों को जीवन में सफलता
दिलवाने में विशेष लाभकारी सिद्ध होता है।
ऐसी ही एक कहानी जो कि इस पुस्तक की शीर्षक कथा भी है,
वह है “बहादुर राजकुमारी” जो अपने राज्य को युद्ध से बचाने के लिए कठिन फैसले लेने
में नही हिचकिचाती व विभिन्न कठिन परिस्थितियों से गुजरते हुए जिनमें तमाम जादुई
वस्तुएं व परिस्थितियाँ भी होती हैं को पार कर अंततः युद्ध रोकने में सफल होती है वहीं
यह कहानी बुद्धिमत्ता , त्वरित निर्णय लेने की क्षमता , बहादुरी व नेतृत्व
क्षमता का विकास करने वाले गुणों को भी बच्चों में अधिरोपित करने में सहायक हो
सकती है।
इसी के साथ साथ संग्रह की अन्य कथाएँ भी बेहद
सुरुचिपूर्ण तरीके से बच्चों को कोई न कई मानवोचित गुण एवं
संस्कारों की सीख देती है, जो निश्चय ही भविष्य में उन्हें एक बेहतर नागरिक बनने
में मददगार साबित होंगी साथ ही पुस्तक की प्रत्येक कहानी का लहजा व विषय भिन्न है
जिस कारण से कहीं भी नीरसता नहीं आ पाती।
कहानी कहने की शैली अत्यंत सहज है, शब्द आम बोलचाल की
भाषा से ही लिए गए हैं व छोटे एवं सरल वाक्यों के संग पुस्तक का वाक्य विन्यास भी
बहुत ही आसान है, जिस से बच्चे बेहद सरलता से कथानक से जुड़ जाएंगे, व प्रत्येक
कहानी से कुछ अवश्य हासिल करेंगे।
सरल तथा सहज भाषा में लिखी गयी पुस्तक, जो कि बच्चों
की मानसिकता के स्तर के समतुल्य है, बच्चों को पुस्तक पढ़ने के प्रति
जागरूक कर सके तथा उनका रुझान पुस्तकें पढ़ने की ओर बढ़े ,
इसी शुभकामना के साथ
अतुल्य
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें