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सितंबर, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Main Hoon Sita By Nilima Gupta

  मैं हूँ सीता समीक्षा क्रमांक : 95 द्वारा : नीलिमा गुप्ता मूल्य: 150.00 पृष्ट : 128 सन प्रिंटस अलवर द्वारा प्रकाशित       “सीता” जिन्हें सिया , जानकी , मैथिली , वैदेही और भूमिजा के नाम से भी जाना जाता है , भगवान विष्णु के अवतार श्री राम की पत्नी हैं , और उन्हें विष्णु की पत्नी , लक्ष्मी का एक रूप माना जाता है । वह राम-केंद्रित हिंदू परंपराओं की प्रमुख देवी भी हैं। “मैं हूँ सीता” नीलिमा गुप्ता जी का एक प्रयास है उन्हीं सीता जी के पात्र को और करीब से, अपने नजरिए से समझने का। नीलिमा गुप्ता , दीर्घ काल तक शिक्षण   के क्षेत्र से संबद्ध रहीं हैं एवं पौराणिक पात्रों   के विषय में उपलब्ध जानकारी से कुछ अधिक जानने की सहज जिज्ञासा उन्हें निरंतर ही संबंधित विषयों पर   शोध हेतु प्रेरित करती रहती है एवं उनके यह शोध उनकी लेखनी एवं कृतित्व से स्पष्टतः प्रगट   होते हैं।    विशेषतौर पर पौराणिक लेखन से सम्बद्ध है व प्रस्तुत पुस्तक से अलावा कृष्ण पर लिखी उनकी कृति ‘मैं कृष्ण सखी’ व "मैं बाबा का कान्हा”   भी प्रकाशित हुयी हैं   एवं पौराणिक विषयों को देखने के अपने एक भिन्न नज़रिए के चलते

Badchalan By Shwet Kumar Sinha

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  बदचलन समीक्षा क्रमांक :   97 उपन्यास : बदचलन द्वारा : श्वेत कुमार सिन्हा बोधरस प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पृष्ट संख्या :  146 मूल्य : 249.00 नवोदित युवा साहित्यकार “श्वेत कुमार सिन्हा” विभिन्न सामाजिक बुराइयों व तथाकथित प्रगतिशील समाज में व्याप्त दोषों को अपने लेखन का केंद्र बिंदु बना कर अपने पहले उपन्यास “बदचलन “ के साथ उपस्थित हुए हैं , जो की मूलतः नारी विमर्श केंद्रित होते हुए समाज की अमूमन हर उस बुराई को सामने रखता है जो कहीं न कहीं समाज की जड़ों में पैठी हुई है व भीतर ही भीतर उसे खोखला कर रही है। साहित्य समाज का दर्पण होता है एवं सामाजिक विषयों को अपने लेखन का केंद्र बिंदु बनाने वाले लेखकों का समाज के विकास एवं सुधारात्मक गतिविधियों में महत्वपूर्ण योगदान होता है। लेखक की समाज के प्रत्येक गुण अवगुण , भाव दुर्भाव , एवं प्रगति तथा विकास से जुड़े लगभग प्रत्येक मुद्दे पर गहरी नजर एवं पकड़ होती है साथ ही साहित्य की भी समाज में गहरी पैठ होने के कारण , लेखन के द्वारा समाज को सुधारने एवं समाज में व्याप्त बुराइयों को प्रमुखता से सबके सामने लाने की व्यापक संभावनाएं  होती हैं जिसे श्वेत

Gumshuda Credit Cards Editor Neelam Kulshreshth

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  गुमशुदा क्रेडिट कार्डस समीक्षा क्रमांक   : 93 कहानी संकलन : गुमशुदा क्रेडिट कार्डस   नीलम कुलश्रेष्ठ द्वारा संपादित एवं वनिका पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित मूल्य : 280.00 प्रस्तुत कहानी संकलन “ गुमशुदा क्रेडिट कार्डस ” , की समीक्षा निश्चय ही अत्यंत दुरूह कार्य था ,14 श्रेष्ठ लेखिकाओं की श्रेष्ठ रचनाओं को स्वतंत्र रूप से पढ़कर उसे अलग अलग यूं समीक्षित करना की संपूर्णता के साथ एक दूसरे के प्रभाव से कतई प्रभावित भी न हों। यूं  तो समग्र रूप से पुस्तक के विषय में एवं संकलन में सम्मिलित कहानियों के विषय में एक सामान्य राय दी जा सकती थी किन्तु मैंने उसे प्रत्येक विदुषी लेखिका के लेखन के विषय में, उनकी  लेखन शैली को जानने समझने हेतु प्राप्त एक सुअवसर के रूप में देखा एवं सभी कहानियों को इत्मीनान से पढ़ कर उन पर अपने विचार प्रस्तुत किए हैं । सभी कहानियों में मूल भाव लगभग एक ही है और हो भी क्यों न , जब की विषय ही माँ पर केंद्रित हो।   हर मां लगभग समान परिस्थिति   को झेलती है इसीलिए तो हर   रूप में नारी की कसमसाहट , मां की उहापोह के हालात , पत्नी   द्वारा अपनी योग्यता को दबाकर परिवार