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अप्रैल, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Moongate By Poonam Ahmed

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  मून गेट द्वारा: पूनम अहमद                     प्रकाशक : साहित्य विमर्श प्रकाशन   सामाजिक ताने बाने के बीच बेबुनियादी मान्यताओं, पुरुष प्रधान समाज द्वारा बनायीं गयी दमनकारी नीतियों एवं गुलामी या कहें की   दासता के   बन्धनों की गिरफ्त में , घर की चार दीवारी में कैद रखने वाली सदियों पुरानी   सोची समझी साजिशों से जकड़ी नारी को आज़ाद करती, उसे ज़माने की परवाह किये बगैर अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेते हुए दिखलाती , ये चारों कहानियां जो पूनम जी की नारी स्वातंत्र्य, उसकी बेड़ियों को तोड़ने की यात्रा , बंधनों एवं वर्जनाओं से जूझने एवं उन्हें परास्त करने की हर संभव कोशिश दिखलाती श्रेष्ट रचना हैं ।   जो अनछुए विषय उन्होंने इन कहानियों के नारी पात्रों के माध्यम से उठाये   हैं , उन्हें जिस तरह कुंठित मान्यताओं एवं वर्जनाओं से बाहर   आते दिखलाया है , निश्चय ही कुछ रूढ़िवादियों को असहज करेगा एवं अन्य जन हेतु एक नयी सोच को विकसित करने का विषय प्रदान करता है।   प्रश्न वही है की नारी आज भी क्यों परतंत्र है, क्यों वह अपने निर्णय स्वयं नहीं ले सकती, क्यों आज भी उसकी अस्तित्व की लडाई जारी है आखिर

Cancer Se Meri Jang By Atulya Khare

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  कैंसर से मेरी जंग नमस्कार दोस्तों, आप लोगों द्वारा मेरे द्वारा लिखित  समीक्षाएं बड़े ही स्नेह के साथ पढ़ी जा रही हैं, एवं यह आप लोगों द्वारा दिया   जाने वाला प्रोत्साहन ही है जो मुझे निरंतर आपके सम्मुख नई समीक्षाएं प्रस्तुत करने हेतु एक नए जोश के साथ प्रेरित करता है।   हॉबी के तौर पर शुरू किया गया छोटा सा प्रयास आज दिन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। आप लोगों से एक बेहद करीबी सा रिश्ता जुड़ गया है तो सोचा आप लोगों से अपनी एक कहानी साझा करूं। कहानी है मेरे संघर्ष की। यह जरूर कहना चाहूंगा कि लिखने का उद्देश्य सहानुभूति प्राप्त करना कतई नहीं है, बस दिल में आया कि अपनी बात अपनों से कहूं इसलिए लिख रहा हूं। तो, चलिए शुरुआत करते हैं दोनों तस्वीरों से, जो आप देख रहे हैं, ये दोनो मेरी ही तस्वीरें हैं, किन्तु फर्क देख चौंकिए मत, क्यूंकि जो फर्क है वो है 4 साल , एक मेजर सर्जरी ,   30 sitting   रेडिएशन , और 3 माह के मौन का , उसके साथ तकरीबन 25   किलो वजन और सबसे अहम् दमदार मूंछ का। अगस्त 2019 का वाकया है, जिंदगी चल रही थी , बैंक की नौकरी भी चल रही थी , साथ ही रिटायरमेंट की प्लानिंग भी चल र

Juloos Ki Bheed By Bhavtosh Pandey

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  “ जुलूस की  भीड़ ” द्वारा :भवतोष  पाण्डेय                                           प्रकाशक:   Notion press       युवा लेखक भवतोष पाण्डेय जो  यूं तो एक इंजिनियर है , किन्तु दिल का झुकाव साहित्य रचना की ओर होने के कारण विभिन्न पत्र पत्रिकाओं व ऑन लाइन प्लेटफॉर्म्स पर लिख कर अपनी साहित्यिक क्षुधा  एवं ज्ञान पिपासा को शांत कर रहे थे , तत्पश्चात  उन्होंने अपनी विभिन्न कहानियों को संग्रह के रूप में प्रस्तुत किया। कहानी संग्रह ‘जुलूस की भीड़” , समाज में अपने आस पास के आम लोगों पर केन्द्रित है एवं उसमें उन्होंने हमारी रोजाना कि जिंदगी में पेश आते अनगिनत पात्रों में से कुछ पात्र चुन कर उन्ही से जुड़ी कुछ बेहद आम सी बातों को ही बेहद सुन्दर कथानक में परिवर्तित कर , 17 कहानियों के संग्रह के रूप में प्रस्तुत किया है। रोज़मर्रा की सामान्य , आम बातों एवं मामूली घटनाओं का सूक्ष्म एवं पैनी नज़र से अवलोकन कर बहुत ही सहज भाव से आम आदमी को केन्द्रित है यह कहानी संग्रह। किसी भी पुस्तक में यूं तो वर्तनी सम्बंधित गलतियों हेतु लेखक को उत्तरदायी नहीं बनाया जा सकता किन्तु कृति प्रभावित होती ही है जो अन्

Shabd-Shabd By Ram Pal Shrivastava

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  शब्द-शब्द द्वारा : राम पाल श्रीवास्तव “अनथक“ प्रकाशन: समदर्शी प्रकाशन   “मेरी कविता आयास रचित नहीं अनुभूत होती है दुःख सुख वेदना और संवेदना की प्रसूत होती है”       उक्त पंक्तियों से अपनी पुस्तक “शब्द-शब्द”   का आरम्भ करने वाले, राम पाल श्रीवास्तव जी, साहित्य की विविध विधाओं में अपने उच्च स्तरीय   लेखन कार्य से निरंतर बहुमूल्य     योगदान दे रहे वरिष्ठ, तजुर्बेकार, लेखक, अनुवादक, पत्रकार एवं   कवि जो की विभिन्न पत्र पत्रिकाओं से बतौर संपादक जुड़कर अपनी साहित्य प्रतिभा से उन्हें गौरान्वित कर साहित्य के क्षेत्र में अपना विशिष्ठ सहयोग दे रहे हैं, बतौर प्रधान संपादक एवं   पत्रकारिता के अपने लम्बे तजुर्बों से बहुत कुछ उन्होंने अर्जित किया एवं वह उनकी ओर से विभिन्न विधाओं में उनके द्वारा किये गए सृजन से भेंट स्वरुप साहित्य को प्राप्त होता रहा है।    उर्दू की विशिष्ट तालीम हासिल कर इस सुन्दर भाषा पर भी अच्छा नियंत्रण रखते हैं एवं अपनी रचनाओं में खुलकर प्रयोग करने से भी उन्हें कोई संकोच अथवा परहेज़ नहीं है, साथ ही कहना आप्रसंगिक न होगा की उनकी उर्दू भाषा   की निपुणता उनके काव्

Dil Hai Chhota Sa by Ran Vijay

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दिल है छोटा सा लेखक : रणविजय प्रकाशक : हिन्द युग्म                                                                                          हिंदी साहित्य में रूचि रखने वाले तथा स्तरीय पुस्तकों के शौकीन, प्रबुद्ध जनों हेतु रणविजय एक जानी   पहचानी शख्शियत है, स्थापित नामचीन लेखकों में उनका नाम शुमार है, उनकी   पुस्तक “ भोर उसके हिस्से की ” सफलता के उत्तुंग   शिखर   पर है एवं आम जन द्वार इस पुस्तक में उन की भाव अभिव्यक्ति , सरल भाषा प्रवाह युक्त शैली , सहजगम्य   वाक्य विन्यास एवं परिवेश को उसकी सम्पूर्ण मौलिकता संग कलात्मक रूप से की गयी प्रस्तुति को अत्यंत पसंद किया गया है तथा मेरा भी उस पुस्तक को पढने के बाद ही संभवतः रणविजय जी की अन्य रचनाये पढने का मानस बन गया था, जो अब “दिल है छोटा सा“ पढ़ कर कुछ हद तक पूरा भी हुआ है हालाँकि अभी उनका पहला कहानी संग्रह “दर्द मांजता है” भी पढना बाकी है एवं शीघ्र ही समय निकल कर उसे भी पढ़ना अब तो प्राथमिकता सूची में है। निश्चय ही किसी भी कलाकार अथवा रचनाकार की आम जन के समक्ष शुरूआती प्रस्तुतियां स्वयं के सर्वश्रेष्ठ प्रयास एवं सम्पूर्ण आश्वस्तता