Moongate By Poonam Ahmed
मून गेट द्वारा: पूनम अहमद प्रकाशक : साहित्य विमर्श प्रकाशन सामाजिक ताने बाने के बीच बेबुनियादी मान्यताओं, पुरुष प्रधान समाज द्वारा बनायीं गयी दमनकारी नीतियों एवं गुलामी या कहें की दासता के बन्धनों की गिरफ्त में , घर की चार दीवारी में कैद रखने वाली सदियों पुरानी सोची समझी साजिशों से जकड़ी नारी को आज़ाद करती, उसे ज़माने की परवाह किये बगैर अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेते हुए दिखलाती , ये चारों कहानियां जो पूनम जी की नारी स्वातंत्र्य, उसकी बेड़ियों को तोड़ने की यात्रा , बंधनों एवं वर्जनाओं से जूझने एवं उन्हें परास्त करने की हर संभव कोशिश दिखलाती श्रेष्ट रचना हैं । जो अनछुए विषय उन्होंने इन कहानियों के नारी पात्रों के माध्यम से उठाये हैं , उन्हें जिस तरह कुंठित मान्यताओं एवं वर्जनाओं से बाहर आते दिखलाया है , निश्चय ही कुछ रूढ़िवादियों को असहज करेगा एवं अन्य जन हेतु एक नयी सोच को विकसित करने का विषय प्रदान करता है। प्रश्न वही है की नारी आज भी क्यों परतंत्र है, क्यों वह अपने निर्णय स्वयं नहीं ले सकती, क्यों आज भी उसकी अस्तित्व की लडाई जारी है आखिर