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Shabd Mere Bhaav Mere by Nirupama Singh

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  शब्द मेरे , भाव मेरे द्वारा: निरुपमा सिंह प्रकाशक:शुभदा बुक्स   निरुपमा सिंह , साहित्य जगत के गलियारों का एक सुस्थापित नाम है जो किसी परिचय हेतु मोहताज़ नहीं हैं। विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार पत्रों, राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न मासिक एवं त्रैमासिक पत्रिकाओं इत्यादि में उनकी रचनाएँ प्रकाशित होती ही रहती हैं तथा साझा काव्य संकलन में भी उनकी रचनाएँ   प्रकाशित हुयी हैं। पाठक वर्ग के बीच उनकी रचनाओं की सरलता को काफी पसंद किया जाता है , उनकी रचनाएं प्रबुद्ध पाठकों के काफी बड़े वर्ग द्वार पढ़ी एवं सराही जाती हैं। पाठक वर्ग से प्राप्त इस प्रतिसाद का मूल एवं एकमात्र कारण उनकी रचनाओं का सामान्य जीवनधारा   से जुड़े हुए विषयों पर आम जन की भाषा में सुन्दरता से   रचना सृजित करना ही है। उनकी रचनाओं की भाषा यूं तो सामान्य जन की सरल सहजगम्य भाषा ही है, किन्तु वे उपयुक्त स्थानों पर सुन्दर किन्तु आसान अलंकारिक शब्दों का प्रयोग कर कथ्य को और भी आकर्षक बना देनें में निपुण हैं। उस पर विशेषता यह कि अलंकरण पश्चात भी कथ्य वैसा ही सरल एवं सहज बना हुआ है और पाठक के दिल से जुड़ने में अलंकरण कहीं बाधा रूप में

Rang Mehsoos Hote Hain by Piyush Singh

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  रंग महसूस होते हैं द्वारा - पीयूष सिंह प्रकाशक – अन्जुमन  प्रकाशन   पीयूष सिंह जी का इसके पूर्व एक काव्य संग्रह “रात की   धूप में” प्रकाशित हो चुका है एवं उसे पाठकों से प्राप्त प्रतिसाद तथा प्रोत्साहन के फलस्वरूप उन्होंने पहले से भी बेहतर प्रस्तुत करने का प्रयास करते हुए नया काव्य संग्रह “रंग महसूस होते हैं” पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है। प्रथम कविता संग्रह “रात की   धूप में” जिसकी समीक्षा भी आप के लिए मैंने प्रस्तुत की थी, उस में भी उन्होंने गंभीर सोच का परिचय दिया था और प्रस्तुत संग्रह में भी उन्होंने जीवन में भिन्न भिन्न मौकों पर जो विभिन्न रंग अनुभव किये उन भावों को अपने शब्द दिए हैं। रंगों से तात्पर्य जीवन के हर उतार चढाव, ख़ुशी, पीढ़ा, दर्द, घुटन, और वे तमाम एहसास जो रोजाना की जिंदगी में उन्होंने महसूस किये उन सभी हालात से है जिनके चलते जिंदगी कई रंगों से बनी एक तस्वीर होती है जो   नज़रिए पर निर्भर करती है देखने वाले के,   कि वह उसे किस रूप में देख रहा है। संग्रह “रंग महसूस होते हैं” की काव्यात्मक प्रस्तुति देते हुए कविता “रात की धूप में रंग महसूस होते है” उन्हीं के श

Mohabbat Aur Ibadat By Naveen Nath

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  मोहब्बत और इबादत द्वारा: नवीन नाथ प्रकाशक: CLASSIC ERA पब्लिकेशन   नज़र नज़र में नज़र से वो शोख काम हुआ, कि जाने कल्ब से चाहत भरा सलाम हुआ। “मोहब्बत और इबादत”, यूं तो ज़नाब नवीन नाथ का   पहला   प्रकाशित गीत ग़ज़ल संग्रह है जिसे खूबसूरत वादियों में बसे शहर चंबा से क्लासिक एरा द्वारा प्रकाशित किया गया है   जिसके ज़रिये उन्होंने साहित्य जगत में अपनी आमद पेश करते हुए ग़ज़ल कि दुनिया में पुरजोर दस्तक दी है, लेकिन उनकी ग़ज़लें एवं गीत पढ़ कर उन्हें किसी तजुर्बेकार गज़लकार से कम नहीं आंक   सकते, लिहाज़ा   उनकी हुनरमंदी और काबिलियत के मुरीद हो उन्हें उनके लाज़बाब शेरों के लिए दाद   देनी ही पड़ती है। इस संग्रह कि हर ग़ज़ल और हर एक शेर पर की गयी उनकी मेहनत साफ़ झलकती है।  10 वर्षों से भी ज्यादा उन्होंने उर्दू जुबान की, शायरी की, मतला, मकता, काफ़िया या रदीफ़ जैसी ग़ज़ल कि तमाम बारीकियों की तालीम हासिल करी है, और पूरी तरह से पुख्ता नीव हासिल करने के बाद   उन्होंने अपने अश आर कहे हैं। उर्दू जुबान पर उनकी गहरी पकड़ नज़र आती है फिर चाहे वह ग़ज़ल का मतला हो या   हुस्नेमतला, उल हो या फिर सानी या फिर जू काफ़िया। आवश्यक