BANARAS TALKIES BY SATYA VYAS

 “बनारस टॉकीज” 

विधा : उपन्यास 

द्वारा : सत्य व्यास

हिंद युग्म द्वारा प्रकाशित 

प्रथम संस्करण : जनवरी 2015

प्रस्तुत संस्करण : 16 वाँ 2021

मूल्य : 199.00

समीक्षा क्रमांक : 195

 


सत्य व्यास द्वारा लिखित एवं 2015  में प्रकाशित उपन्यास “बनारस टॉकीज” कई मायनों में विशिष्ठहै  । जहां एक ओर इसकी भाषा शैली कुछ अलग हट कर है, वहीं कथानक का सरल सहज प्रवाह इसे रोचकता एवं लोकप्रियता प्रदान करता है। (6 वर्ष में 16 संस्करण प्रकाशित हो जाना स्वयं ही प्रमाण है )  

पाठक इस पुस्तक के पात्रों के संग अपने कॉलेज जीवन के पल फिर से जी लेते हैं । 

शैली विशिष्ट है जो क्षेत्र विशेष की रग में रच बस जाने को बेताब करती है वहीं भाषा वही सीधी सरल बिना किसी विशिष्ट शब्दावली के , जो इस उम्र में आम बनारस का छात्र स्तेमाल करता है और सच कहा जाए तो यह विशिष्ट भाषा शैली ही  पाठक को स्वयं में समाहित करती है 



छात्र जीवन की दैनिक गतिविधियां, चुहलबाजियां और मस्ती  है जो सामान्य किंतु अपनी प्रस्तुति से उन्हें विशिष्ट बनाती हैं । छात्रों के बीच सामान्य वार्तालाप ही हो किन्तु जब वह bhu के छात्रों के बीच हो तो स्वतः ही विशिष्ठ हो जाता है एवं आनंद दाई होता है और ये BHU की बातें   आपको पुनः आपके छात्र जीवन में ले   जाकर  खड़ा कर देती हैं ।

छात्र जीवन में कालेज जीवन में खेले गए क्रिकेट मैच सदा ही रो मंच भर देते हैं उस  क्रिकेट का वर्णन बिल्कुल वैसा ही है जैसा सभी ने अपने छात्र जीबन में अनुभव किया होगा और व्याजह आप को ले जाकर कालेज के खेल के मैदान में खड़ा कर देता है। वहीं हालात ,वही कॉमेंट्स, वही स्टैंड्स की झड़पें ।

उपन्यास में वर्णित रेड लाइट एरिया से लड़की को छुड़ाने वाला दृश्य कुछ ज्यादा ही जोशीला दर्शाया गया है किन्तु युवा अवस्था में सब कुछ संभव है और यह दृश्य उसी जोश  को अपनी संपूर्णता मेंऔर  उस  कारनामे को वास्तविकता के बेहद करींब से चित्रित करता है । वैसे यह कहना उचित नहीं की ऐसा नहीं होता क्यूंकि यह न सही कुछ और,  किन्तु आम तौर पर कालेज के दिनों में घट बढ़ सभी के साथ गुजरती  है  और सभी कुछ ऐसा कर गुजरते हैं जो बाद के जीवन भर रोमंच प्रदान करती है एवं ययड आने पर होंठों पर मुस्कानले आती है। 

बिना कोई बोझ दिए , तेज रफ्तार के संग भरपूर मनोरंजन देता हुआ कथानक है जिसे एक बार में ही  पुरा  पढ़ जाने का लोभ संवरण कर पाना मुश्किल है। 

अतुल्य 


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