Hua Karte The Radhe By Meena Gupta

 “हुआ करते थे राधे” 

विधा: उपन्यास 

द्वारा : मीन गुप्ता 

सेतु प्रकाशन द्वारा प्रकाशित 

प्रथम संस्करण : 2024 

मूल्य : 375.00 

समीक्षा क्रमांक :  191


"हुआ करते थे राधे" , मीना गुप्ता जी द्वारा रचित एक पठनीय उपन्यास । हालांकि मेरा उनके लेखन से परिचय इसी उपन्यास के द्वारा ही हुआ किंतु अपना कायल कर गया । 

उपन्यास मूलतः एक विशेष कस्बे में रहने वाले  एक परिवार की तीन पीढ़ियों की उन्नति अवनति विकास और विस्तार की कहानी है । 

उपन्यास में वर्णित घटनाक्रम के द्वारा जिस तरह से पाठक, पात्रों से परिचित होता जाता है एवम कथानक से स्वयं को संबद्ध करता है,  वह कहीं से भी उपन्यास प्रतीत नहीं होता बस यूं जान पड़ता है मानो कोई व्यक्ति अपने परिवार के विषय में आपके सामने बैठ आपको सिलसिलेवार सब कुछ सुना  रहा हो , यह  लेखिका की शैली की विशेषता ही कही जाएगी । भाषा  भी क्लिष्ट से दूर अत्यंत  सरल रखते हुए उचित स्थानों पर पात्रों द्वारा क्षेत्रीय भाषा का प्रयोग कथानक को अधिक रोचक बना देता है ।  



घटना क्रम को जिस तरह से पिरोया गया है कि पारिवारिक बातें (और जिसे आम भाषा में घर घर की कहानी भी कहा जाता है ) होने के बावजूद कथानक कहीं भी उबाऊ नहीं होता एवं अच्छा खासा विस्तार होने के बाद भी एक बैठक में पूरा पढ़ने का प्रयास करने को बाध्य करने वाला कथानक अवश्य ही लेखिका की सफलता का द्योतक है । 

पुस्तक में नारी विमर्श , संघर्ष , घरेलू झगड़ों में किए जाते शोषण अत्याचार एवं विरोध को जहां उचित स्थान मिलता है वहीं नारी शिक्षा पर उनका विशेष ध्यान केंद्रित करना अच्छा संदेश है । 

प्रमुख पात्र राधे द्वारा परिवार को नाम दाम प्रतिष्ठा दिलाने में जिस तरह अपने को न्योछावर कर दिया जाता है वह संदेश अच्छा है वहीं उनकी अर्धांगिनी रानियां द्वारा गृहस्थी चलाने में स्वयं को आहूत कर देने का संदेश युवा पीढ़ी को बहुत कुछ सीख देते हैं । दहेज, कन्या  जन्म , जैसे विषयों पर समाज की उस वक्त की स्थिति का सटीक वर्णन है ।

एक पठनीय कृति । । 


अतुल्य 

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