Antar Ka Prakash By Renu Vashishth

 

अंतर का प्रकाश 

द्वारा रेणु वशिष्ठ

दृष्टि प्रकाशन जयपुर द्वारा प्रकाशित 

प्रथम संस्करण 2023

मूल्य 300

पाठकीय प्रतिक्रिया क्रमांक  ; 155



                                  जानी मानी शिक्षा विद् एवं ख्यातिलब्ध समाज सेवी  रेणु वशिष्ठ जी की आत्मिक भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति प्रस्तुत कविता संग्रह "अंतर का प्रकाश" के रूप में हमारे सम्मुख है जिसमे 100से भी अधिक सुंदर रचनाएं हैं जिनकी अत्यंत सरल भाषा एवं बोधगम्य शैली प्रत्येक रचना को पठनीय बनाती है । 

कविताओं का भाव अत्यंत सरल शाब्दिक रूप में प्रस्तुत हुआ है एवं किसी भी तरह के अलंकरण अथवा सजावटी व्याकरणीय क्लिष्ट विशेषणों से काफी दूर है एवं यही कारण भी है जो उनकी कविताओं को आम  जन के बीच  व्यापक स्वीकृति एवं स्नेह  प्राप्त हुआ है ।




यह तो यूं भी देखा गया है एवं स्वाभाविक भी है कि जब कोई शिक्षाविद कविता या रचना करता है, तो वह आमतौर पर एक विशेष स्तर की होती है अर्थात उस में कुछ विशेषताएं तो हमें सहज ही दिखलाई पड़ जाती हैं यथा भावों की गहराई एवं एक गहन भावार्थ  जिसके द्वारा वे अपने अनुभव और ज्ञान का उपयोग कर कविता में भाव के द्वारा एक विशेष अर्थ प्रस्तुत करते हैं वहीं किसी भी शिक्षाविद की कविता में आमतौर पर एक विशेष साहित्यिक शैली होती है। वे अपने लेखन में साहित्यिक तत्वों का उपयोग करके कविता को एक विशेष स्वर और भाव देने का प्रयास करते हैं  साथ ही विषयों की विविधता एक ऐसा पक्ष होता है जहां वे किसी विषय विशेष में सीमित नहीं होते एवंम  उस के द्वारा हमें उनके अनुभव और ज्ञान का सहज ही परिचय मिलता है । जहां भाषा की सुंदरता  अपने श्रेषतरूप में दिखती है सुंदर अर्थ सामने रखती है व उसमें जो एक  विशेष संदेश और अर्थ होता है वह सहज ही पाठकों को सोचने और विचार करने के लिए प्रेरित करता है।

रेणु जी की कविताएं न केवल साहित्यिक दृष्टिकोण से उत्कृष्ट हैं, बल्कि वे हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से सोचने के लिए प्रेरित करती हैं। उनकी कविताएं  जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे कि प्रेम, सामाजिक न्याय, प्रकृति, और आत्म-खोज पर केंद्रित होती हैं, जिनकी भाषा सुंदर और अर्थपूर्ण है साथ ही शब्द चयन और छंद संरचना अद्वितीय है। उनकी कविताएं अपने भावों के कारण सहज आकर्षित करती हैं और उस विषय विशेष पर सोचने और विचार करने के लिए प्रेरित करती हैं। लब्बो लुआव  यही कि   रेणु जी की सामान्य कविताएं सरलता सँजोये हुए उत्कृष्ट हैं।

उनकी कविता किसी विशिष्ट विषय पर केंद्रित होती भी नजर नहीं आती , किंतु प्रत्येक कविता के पीछे उनका गंभीर चिंतन अवश्य ही स्पष्टता परिलक्षित होता है जहां किसी संदेश अथवा सीख की स्थान पर आत्म मंथन ही अधिक दिखलाए देता है ।  

शीर्षक कविता भी उनका  आत्मावलोकन है जहां उनकी  विभिन्न  सकारात्मकताओ के चलते वाह्य जगत में फैली ऋणात्मकता पर आत्मिक विजय का आभास देती है। कविता के भाव देखें

क्यूँ नजर आता है सिर्फ अंधकार

सूर्य का प्रकाश , असत्य , हिंसा ,

सांप्रदायिकता के गुबार में धूमिल हो रहा

शायद इसी लिए अंतस का प्रकाश

अधिक चमकता महसूस होता है मुझे

वहीं अपनी कविता “साये ने भी छोड़ दिया” में कहतीं हैं कि

तुमने तो गुमनाम सी वफ़ा की थी

आज जब ढाल गई है शाम

रोशनियाँ हो गई किसी और के नाम  

अंधकार में गम हो गया उसका नाम

तो साये ने भी साथ छोड़ दिया ।

ऐसे ही सुंदर भावों को सँजोये उनकी प्रत्येक कविता उनके गंभीर चिंतन से परिचय करवाती है ।

अतुल्य

9131948450

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