Jeete Raho Jeetu Bhai By Bharat Gadhvi
“जीते रहो जीतू भाई” जीते रहो जीतू भाई द्वारा : भरत गढ़वी विधा : उपन्यास FLYDREAMS द्वारा प्रकाशित मूल्य : ₹ 249 प्रथम संस्करण : 2024 समीक्षा क्रमांक : 125 कुछ नया सा पढ़ने की तमन्ना , लीक से हटकर , थोड़ी भिन्न सी विचारण शैली के संग मनोरंजन एवं पठन पाठन की संतुष्टि भरत जी की हालिया प्रकाशित पुस्तक “जीते रहो जीतू भाई” से मिलती है। एक नई सी सोच का कथानक जो आम तौर पर प्रचलित कथानकों से बेहद भिन्नता लिए हुए है , आज के युवाओं की जो ठान लिया वह कर के दिखाना है वाली जिद या कहें दृढ़ संकल्पित होना भी दिखलाता है। कथानक में नयापन है , संवाद अदायगी पर किंचित क्षेत्रीय भाषाई प्रभाव भी देखने को मिलता है जो की पुस्तक के प्रस्तुतीकरण को इन मायनों में विशिष्ट बनाती है कि उन्होंने कहानी के पात्रों के मूल भाव को, उनकी संवाद अदायगी के लहजे को जीवित रखते हुए अपने कथानक को गति दी है।चंद वर्तनी संबंधित त्रुटियां भी नजर आती हैं जिन पर संबंधितों द्वारा उचित संशोधन किया जाना वांक्षणीय है। कथानक पाठक को बांध कर रखने एवं अंत जानने की उत्सुकता बनाए रखने के साथ अपना प्रभाव छोड़न