Zindagi Store By Bharat Gadhvi

 

ज़िन्दगी स्टोर

द्वारा     : भरत गढ़वी

FLYDREAMS द्वारा प्रकाशित

मूल्य : 220 /- 

  शेर लेखन एक कला है जिसके लिए श्रेष्ठ वैचारिक सम्पदा, गहन सोच ,गंभीर  विचारों का खजाना और एवं उपयुक्त शब्दों का चयन वांक्षणीय है। शेर केवल दो ही पंक्तियों का होता है। इस की पहली पंक्ति को मिसरा-ए-उला कहते हैं जबकि  दूसरी पंक्ति को मिसरा-ए-सानी कहते हैं। शेर के दोनों मिसरे निर्धारित मात्रिक-क्रम की दृष्टि से एक से होते हैं। हम कह सकते है कि शेर दो पंक्तियों की एक कविता होती है , इसमें तुकबंदी होना अनिवार्य नहीं है , हो भी सकती है और नहीं भी।

वहीं शायरी अपने मन की बात को अभिव्यक्त करने का बिल्कुल अलग आयाम है। शायरी लिखने में विशेष तौर पर शब्दों का ध्यान रखना होता है ।शायरी पिछली कई सदियों से लोगों के दिलों पर राज करती हुई आ रही है। शेरों की पंक्तियों को और उनके पढ़ने के अंदाज़ को शायरी कहते हैं। शायरी एक साहित्यिक कृति है जिसमें विशिष्ट शैली और लय के उपयोग से भावनाओं और विचारों की अभिव्यक्ति को तीव्रता दी जाती है। शायरी हिंदी कविता का ही एक रूप है। हिंदी कविता में संस्कृत और हिंदी भाषा का प्रयोग किया जाता है जबकि हिंदी शायरी में संस्कृत और हिंदी भाषा के साथ-साथ उर्दू, फ़ारसी, अरबी आदि भाषाओं का भी प्रयोग किया जाता है।

यूँ तो आम तौर पर इस विधा में उर्दू का बोलबाला है। उर्दू सिर्फ़ भाषा ही नहीं बल्कि भारतवर्ष की फैली हुई संस्कृति के मिठास का एक रंग है इस बात में कोई शक़ नहीं है कि शायरी हिंदी-उर्दू ज़बान की सबसे लोकप्रिय और मधुर काव्य-विद्या है। जिस प्रकार कविता हिंदी साहित्य की एक शैली है उसी प्रकार शायरी उर्दू साहित्य की एक शैली है शायरी मतलब शब्दों की वो जादूगरी या कारीगरी जो दिल को छू ले। शायरी में किसी भी बड़ी से बड़ी गंभीर बात को छोटा करके दिलकश अंदाज़ में पेश किया जाता है। शायरी को सुखन और शायरी लिखने वाले को शायर या सुख़नवर भी कहा जाता है।


शायरी को मुख्यतः हिंदी और उर्दू भाषा में लिखा जाता है। शायरी में शायर शब्दों से खेलता हुआ अपने दिल की भावनाओं को कुछ इस तरह से व्यक्त करता है कि सुनने  वाला अपना दिल हार बैठता है। यूं तो कोई भी रचनाकार जिस ज़बान में लिखता है उस से उसका स्वाभाविक प्रेम होता है । इस प्रेम को वो अपनी लेखनी में उजागर करता है किन्तु हमारे हिंदी के शायरों ने भी अपनी शायरी में उर्दू प्रेम का इज़हार किया है और इस भाषा की ख़ूबियों का वर्णन भी किया हैं ।

हालाँकि यह न समझा जाये की शायरी पर उर्दू का ही एकछत्र अधिकार है एवं  हिंदी में स्तरीय शायरी करना संभव नहीं है । उर्दू के आलावा हिंदी में भी बेहतरीन शायरी का सृजन किया गया है और तमाम शायर आज हिंदी में बेहतरीन श्री पेश कर रहे हैं जहाँ वे हिंदी के समृद्ध शब्दकोष का सुन्दर प्रयोग कर रहे हैं ।

हिंदी शायरी काव्य का एक ऐसा रूप है जिसमें कुछ ही शब्दों या पंक्तियों में दिल को छू लेने वाली  भावनाएं समाहित हो जाती हैं, जो पढ़ने या सुनने वाले को भाव-विभोर कर देती है। अपने आप मुँह से वाह-वाह निकल जाता है। हिंदी में चुनिंदा शेरो-शायरी का एक संग्रह प्रस्तुत किया है भरत गढ़वी जी ने अपनी नवीनतम कृति “ ज़िन्दगी स्टोर” में ।

“ ज़िन्दगी स्टोर”, भरत गढ़वी जी का  पहला  प्रकाशित शेरो-शायरी संग्रह है जिसके ज़रिये उन्होंने साहित्य की इस विधा में भी अपनी आमद दर्ज करवा दी है। इसके पूर्व उन्होंने युवाओं , उनके सपनों एवं उनकी उड़ानों पर केन्द्रित एक उपन्यास “ड्रीम जर्नी “ प्रस्तुत किया था जिसे सुधि पाठकों का अच्छा प्रतिसाद मिला था।  

शेरो शायरी पर केन्द्रित यह उनका पहला प्रयास है एवं जैसा की वे स्वयं कुबूलते हैं की प्रस्तुत पुस्तक उन तमाम  मुक्तक , छंद एवं शेर तथा टू लाइनर्स का संकलन है जो उन्होंने मुख्यतः सोशल मीडिया पर विगत कुछ समय में लिखे थे संभवतः यही एक प्रमुख कारण है की शेर अपने शब्द  एवं भाव से एवं विशेष तौर पर भाषा एवं विन्यास के क्षेत्र में तनिक और गंभीर प्रयास की मांग का इशारा देते नज़र आते हैं ।

निश्चित तौर पर शेर लिखने में काफी  प्रयास किये गए हैं किन्तु  हिंदी के सुन्दर पर्यायवाची शब्दों के प्रयोग द्वारा तथा उर्दू भाषा के शब्दों का प्रयोग कर उन्हें और बेहतर रूप दिया जा सकता था क्यूंकि उर्दू  ऐसी प्यारी जुबान है जो खुद ब खुद रूह में उतर जाती है, उर्दू भाषा के माफिक  लचक, नफासत अन्य किसी भाषा में नज़र नहीं आती, उसका  हर लफ्ज़ के उच्चारण का एक विशेष अंदाज़ उसे वैसे ही खास बना देता है और फिर जब  उसकी बारीकियों को समझ कर, उसके खूबसूरत लफ़्ज़ों में हुनरमंद शायर अपने अशआर  कहते हैं तो स्वाभाविक रूप से वे बेहतरीन ही होते हैं क्यूंकि कम लफ़्ज़ों में बहुत कुछ बयां कर जाना उर्दू जुबान कि ख़ूबसूरती है वहीं  शायरी कि ज़रुरत और उम्दा शायरी का गहना भी, यही वज़ह है कि उर्दू जुबान शायरी के लिए  बहुत मुफीद है और खूबसूरत शायरी उर्दू जुबान में और  ज्यादा  खूबसूरत हो उठती है। 

साथ ही शेरो शायरी लेखन की अन्य बारीकियों यथा मतला, मकता, काफ़िया या रदीफ़ की तालीम हासिल करना भी शायरी लेखन के स्तर को और भी अधिक प्रभावी बनाता है ।

इस पुस्तक में भरत गढ़वी जी ने अमूमन हर मिजाज़ के शेर कहे हैं। एक अच्छा शेर तभी लिखा जा सकता है जब गज़लकार के ख्याल, उसके भाव दिल में उतर आये हों तब उन्हें अल्फाज़ देने का काम किया गया हो। इसके पहले कहे गए शेर कभी भी पुख्ता असर नहीं छोड़ते। प्रथम प्रयास में ही उन्होंने अपने जो अश आर कहे हैं वे  शेरो शायरी की दुनिया में उनके भविष्य के लिए अच्छे संकेत है ।

प्रस्तुत पुस्तक से चंद अश आर बतौर बानगी पेश है :

इस जीवन के विविध रंग हैं यह हमें समय समय पर भिन्न भिन्न रंग दिखलाती है । कभी जिंदगी हमें हँसना सिखाती है तो कभी रोना। इसी भाव को अपने ख्यालों में रखते हुए कहते हैं कि :

·             और क्या समझाएं की जिंदगी क्या है बातों से

               मुट्ठीभर रेत  ही तो है जो फिसल रही है हाथों से

·             हादसे सिर्फ जान लेने के लिए नहीं आते

           लोगों को जान लेने के लिए भी आते हैं

·             क्यों खफ़ा है दर्द से ये बड़े मायने रखते हैं

           कौन तेरा है कौन नहीं सामने तेरे आईने रखते हैं

कभी हम हद से ज्यादा खुश होते हैं और कभी बेहद निराश । कई बार ऐसा होता है कि जी-जान से मेहनत करने के बाद भी हमें वो नहीं मिलता है जिसके हम हकदार होते हैं। जीवन में दुख, तकलीफ, मुसीबत और परेशानी की परिस्थितियां आती रहती हैं। कई उतार-चढ़ाव झेलने के बाद भी और खून-पसीना एक करने के बाद भी हमें मंजिल नहीं मिलती है। 

कुछ ऐसे ही विचार उनके इस  शेर  में झलकते हैं

·             एक छोटी सी उम्र में तुमसे और कितना बैर करें

               आ चल मेरे साथ ज़िन्दगी दोनों एक लम्बी सैर करें ।।

प्रस्तुत पुस्तक में मनोबल बढ़ने वाली एवं टूट चुके को सहारा देने वाली शायरियां भी  दी गई हैं । कई बार ऐसा होता है कि मंजिल सिर्फ एक कदम दूर होती है मगर हम पहले ही हार मान जाते हैं। इस परिस्थिति में प्रेरित रहना, हौसला बनाए रखना और हिम्मत ना हारना बहुत जरूरी होता है।

बात शेरो शायरी की हो और दिल के मसले न हों ऐसा तो न मुमकिन ही है , भारत गढ़वी जी भी इस से अछूते नहीं रहे है एवं आशिकाना मिजाज़ के शेर भी बेहतर बन पड़े हैं :

·             दिल-ए –नादाँ को मिला ज़ख्म बड़ा गहरा है

               बदला लें भी तो किस से मुजरिम तेरा चेहरा है 

·             जब भी मुझे नशे में कोई चूर होता पायेगा

        घूम फिर के इलज़ाम तेरी आँखों पे आएगा  

 वर्तनी के सुधार की और भी ध्यान अपेक्षित है । साथ ही चंद शेर में वह गंभीरता नज़र नहीं आती जो गढ़वी जी से अपेक्षित है । कहीं कहीं  विचार तो सुन्दर है किन्तु शब्दों ने उनका साथ नहीं दिया साथ ही कहीं कहीं ऐसे विचार भी साधारण तौर पर रख दिए गए हैं जिन्हें शेर के रूप में नहीं ढाला जा सका। वहीं  चाय पर भी काफी कुछ कहा गया है किन्तु स्तरीय शेर की कमी एवं बेहद हलके भाव जहाँ उम्मीदों पर पूरे नहीं बैठते वहीं अपेक्षाओं के पूर्ण न होने की टीस भी छोड़ जाते हैं । प्रथम प्रयास को सकारात्मक रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए , भविष्य में शेरो शायरी की उम्मीद रहेगी , शुभकामनों सहित     

अतुल्य

 

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