Sundar Sooktiyan By Heero Wadhvani
सुन्दर
सूक्तियां
सूक्तिकार : हीरो वाधवानी
प्रकाशक : अयन प्रकाशन
प्रस्तुत पुस्तक “सुन्दर सूक्तियां” साहित्य में गद्य एवं पद्य की विद्यमान प्रसिद्द ,चर्चित एवं प्रचलित विधाओं से हट कर लुप्त होती विधा है। सूक्ति के क्षेत्र में उस रूप में लेखन की अधिकता नहीं देखने को मिलती जितनी गद्य और कविता में की जा रही है, हालांकि क्षणिका और छंद में भी कम कार्य हुआ है किन्तु, अभी भी उनकी उपस्थिति अनुभव कर ली जाती है। सूक्तियों के माध्यम से भाव प्रकट करना रचनाकार हेतु एक कठिनतम कृत्य है जहाँ शब्द न्यूनतम होते हुए भी उन्हें सम्पूर्ण सन्देश प्रकट करने की अनिवार्यता भी होती है। निःसंदेह यह एक जटिल लेखन की विधा है तथा सूक्ति लेखन, अत्यंत तजुर्बेकार, भावनाओं की अभिव्यक्ति में स्पष्टता, एवं वृहद् शब्द ज्ञान रखने वाले व्यक्ति द्वारा ही संभव है।
यूं तो यह लुप्तप्राय विधा है किन्तु इसके साथ ही साथ यह वर्तमान प्रचलित लीक से हटकर कुछ अलग करने की पहल भी है, जिसे वाधवानी जी ने अपने लेखन के माध्यम से सम्मुख रखने का सफल यत्न किया है । सूक्तियों के माध्यम से वे न केवल वर्तमान वरन भविष्य हेतु भी उचित मार्ग दर्शन देते हैं। हीरो वाधवानी जी की पुस्तक बेहद नीतिपरक सम्पूर्ण जीवन सार है जिसमें लेखन के जरिए उन्होंने सिर्फ ज्ञान देने के लिए इसका सृजन नहीं किया है अपितु जीवन के हर पहलू को नजदीकी से देखा है फिर अपने अनुभवों को सूक्ति के रूप में प्रस्तुत किया है ।
सूक्ति लिखना एक अद्भुत कार्य है जिमें रचनाकार को चिंतन एवं मनन की गंभीर प्रक्रिया से होकर गुजरना होता है
ताकि उसके अनुभवों एवं विचारों का निचोड़ न्यूनतम शब्दों में लिपि बद्ध करा जा सके । प्रस्तुत पुस्तक में चिंतन हेतु विभिन्न बिंदु
है या कहें की सम्पूर्ण पुस्तक की हर सूक्ति गंभीर चिंतन की मांग करते हुए मन को
विचारण हेत प्रेरित करती है। प्रस्तुत
सूक्ति संग्रह की प्रत्येक सूक्ति जीवन हेतु एक मन्त्र है अतः चंद श्रेष्ठ
सूक्तियों का चयन कर उन्हें यहाँ उल्लिखित करना युक्तियुक्त न होकर उचित
भी प्रतीत नहीं होता , कारण की प्रत्येक सूक्ति श्रेष्ठ है, उत्तम व उच्च
कोटि के विचारों का सन्देश लिए हुए है।
सूक्तियां हमारे जीवन का मार्गदर्शन करती हैं मन मस्तिष्क को शुध्ह एवं उच्च विचार देती हैं तथा ह्रदय में सात्विक भावना , परोपकार जैसे सद्विचारों का स्फुरण करती हैं साथ ही सुसंस्कार एवं चरित्र निर्माण में अत्यंत उपयोगी है। समाज में दिनों दिन मानवीय मूल्यों का ह्रास हो रहा है तब ये सूक्तियां व्यक्ति व समाज को एवं नैतिक मूल्यों को सुरक्षित रखने हेतु सकारात्मक संदेश प्रदान करती हैं। सूक्तियां जहाँ एक और सकारात्मकता का निर्माण करने में सहायक है वहीँ ये सूक्तियां केवल जीवन के विभिन्न पहलू ही नहीं सामने रखती वरन समस्याओं के समाधान व विकल्प भी अपने विशिष्ठ अंदाज़ में प्रदान करती हैं। अत्यंत सहज भाषा एवं सरल शब्दों में रचित सूक्तियां जीवन उपयोगी मंत्र हैं जो की हीरो वाधवानी जी की ज्ञान, अनुभव , सामाजिक अवस्थाओं का गंभीर विश्लेषण एवं प्रकृति के सूक्ष्म निरीक्षण से प्राप्त हुए हैं।
सूक्तियां जीवन में उन्नति के लिए राह दिखलाते हुए निराशा, हताशा, उदासी, से बाहर आने में मददगार साबित होती हैं व भविष्य में आने वाली मुश्किलों के प्रति आगाह भी करती है। हारे एवं टूट चुके इंसान के लिए ये सूक्तियां नवजीवन प्रदान करती हुयी संजीवनी के समान है वाधवानी जी की सूक्तियां सम्पूर्ण मानव समाज को सही संदेश व दिशा निर्देश देती हैं और जीवन को सही दिशा दिखाती हैं । सूक्तियों की सकारात्मकता नव संजीवनी स्फुरण करती हैं। । इन सूक्तियों में महान आचार्यों वरिष्ठ मनीषियों के जीवन के कठिनतम संघर्ष से उत्त्पन्न उच्च विचारों का निचोड़, दिशा निर्देशन, और मार्गदर्शन है साथ ही जीवन के अनेक पक्षों पर अपनी राय के माध्यम से जीवन जीने के तरीके, जीवन में धर्म की भूमिका, सुख-दुख, अमीरी गरीबी, और चिंतन, प्रकृति एवं पर्यावरण पर भी अपने विचार दिए हैं ।
पुस्तक में
प्रस्तुत विचार अनुकरणीय एवं सराहनीय है जीवन क्या है यह कैसा होना चाहिए हमारा
लक्ष्य क्या है जैसे सवाल या कहें विचार प्रत्येक महान व्यक्ति के मानस में
उथल-पुथल मचाते रहते हैं जिनका वाधवानी जी ने अपनी सूक्तियों के माध्यम से उत्तर
प्रस्तुत किया है।
लुप्त होती विधा को पुनर्जीवित करने का उत्तम
प्रयास है सूक्तियों की उन पंक्तियों के
माध्यम से उच्च कोटि के विचारों का सुंदर संप्रेषण है यह सूक्तियां निराश हताश
व्यक्ति के अंधेरे मन में आशा का दीप जलाती है साहित्य को समृद्धि प्रदान करता हुआ
उच्च स्तर का एक अनुपम ग्रन्थ है प्रतेक सूक्ति विचारों पर जमीं विभिन्न बुराइयों
की धुल को साफ कर नव ज्योत का प्रज्वालण करती है। सूक्तियां
जीवन के विभिन्न आयामों को विचरण में लेते हुए करते हुए सीख तो देती ही हैं साथ ही जीवन को
सकारात्मक ढंग से जीने की कला भी सिखाती है ।
आज भी जनमानस में तमाम सूक्तियां आम दिनचर्या
में प्रयुक्त होती हैं और मस्तिष्क में हमेशा विद्यमान रहती हैं वैसे ही तमाम सूक्तियां
प्राचीन काल से ही दिशा बोध दे रही हैं व पग पग पर हमारा पथ प्रदर्शन करती हैं कम शब्दों
में बड़ी बात कहने की सामर्थ्य सूक्तियों में ही होती है व वाधवानी जी की सरल
शब्दावली इस प्रतिभा एवं क्षमता को दुगुणित कर देती है इनको समझ कर व्यक्ति अपना जीवन संवार
सकता है सूक्ति ऐसा कथन है जो जितना
संक्षिप्त होगा उतना ही अधिक प्रभावी होगा सूक्तियां गागर में सागर के समान भाव
संग्रह कर ती हैं सूक्ति जितनी अधिक सरल एवं काव्यात्मक होगी उतनी ही ज्यादा कारगर
एवं लोकप्रिय बनेगी ।
उन्हें पढ़ने से व्यक्ति का मन परिमार्जित होता
है ठीक उसी प्रकार सूक्तियों का प्रभाव
अंतर्मन को झकझोरता सा प्रतीत होता है सूक्तियां एक असाधारण कृति है जिसमें
सामाजिक सांस्कृतिक धार्मिक एवं आध्यात्मिक प्रकार की सूक्तियां है जो हमें बताती
हैं कि अपने व्यक्तिगत जीवन को किस प्रकार व्यावहारिक श्रेष्ठ एवं अनुकरणीय बनायेन
इस विषय पर जीवन का मार्गदर्शन करती हैं व
साधारण मानव को सुसंस्कृत बनाती है इस पुस्तक में दर्शन अच्छा और जीवन की
वास्तविकताओं का गहन समावेश है सभी सूक्तियां जीवन के विविध यथार्थ को सहजता से
प्रस्तुत करती है कृतियों की भाषा एवं भाव सुबोध है ।
सविनय,
अतुल्य
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