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Amar Ganga By Sanjeev Kumar Gangwar

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  अमर गंगा द्वारा                  : संजीव कुमार गंगवार प्रकाशन : गीतांजलि प्रकाशन पुस्तक “अमर गंगा” वर्ष 2017   में गीतांजलि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित युवा साहित्यकार, संजीव गंगवार जी की श्रेष्ठ कविताओं का संग्रह है, जिन्हें एक आम नागरिक की दिन प्रतिदिन की व्यवस्था में अव्यवस्थाओं से सम्बंधित चिंताओं का संग्रह है। संजीव कुमार गंगवार जी स्थापित रचनाकार हैं जिनकी , साहित्य की   विभिन्न विधाओं में अनेकों कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं तथा आम जन के बीच काफी लोकप्रिय भी हुयी हैं।   प्रस्तुत काव्य संग्रह “अमर गंगा” की   पहली ही कविता   विचारों की अतिदीर्घ श्रृंखला “नमामि गंगे” के रूप में प्रस्तुत है जो की पवित्र पावन गंगा की दुर्दशा पर उनकी चिंताओं को दर्शाती है वहीं   शासन की नमामि गंगे परियोजना पर आम जन के विश्वास और अपेक्षाओं का भी एक दस्तावेज़ है । अन्य कवितायेँ   भी भिन्न विषयों पर विचारों का उद्वेलन दर्शाती हैं । भाव एवं भाषा शैली:-   प्रस्तुत काव्य संग्रह की प्रत्येक पंक्ति देश एवं समाज से सरोकार रखने वाले पाठक वर्ग को ,   राष्ट्रहित इत्यादि के प्रति सोचने वाले हर शख्स को झिंझोड़

Kavita Ka Janpaksh By Shailendr Chuhan

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  कविता का जनपक्ष द्वारा       : शैलेन्द्र चौहान प्रकाशक : मोनिका प्रकाशन शीर्षक:- शैलेंद्र चौहान कृत “कविता का जनपक्ष”   आलोचनात्मक आलेखों   और निबंधों का संकलन है जिसमें   पुस्तकों की समीक्षा भी शामिल है एवं पुस्तक के शीर्षक को सार्थक करती पुस्तक में कवि कविता और उसके जनपक्ष पर चर्चा है, जो कि “यथा नाम तथा भाव” वाली युक्ति को चरितार्थ करती कृति है ।   रचनाकार वरिष्ठ कवि , उपन्यासकार , आलोचक एवं संपादक शैलेन्द्र चौहान , साहित्य जगत में एक प्रतिष्ठित एवं स्थापित नाम है   तथा विगत ४० वर्षों से भी अधिक की उनकी गरिमामयी उपस्थिति से साहित्य जगत गौरवान्वित हुआ है। साहित्य जगत को    श्रेष्ठ गद्य एवं उच्च कोटि कि पद्य रचनाएं दे कर जहाँ एक और उन्होंने अपनी सशक्त उपस्थिति का सर्व कालीन प्रमाण प्रस्तुत किया वहीं उच्च कोटि के आलोचनात्मक साहित्य का सृजन कर एवं संपादन के क्षेत्र में   स्तरीय कार्य कर साहित्य को तो समृद्ध किया ही, वर्तमान साहित्य प्रेमियों को भी अपने साहित्यिक योगदान से कृतार्थ किया है। उनकी विभिन्न रचनाएं समय समय पर विभिन्न प्रकाशकों द्वारा प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं

Charlie Chaplin Ne Kaha Tha By Arun Arnav Khare

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  चार्ली चैप्लिन ने कहा था द्वारा           : अरुण अर्णव   खरे प्रकाशन : इण्डिया नेटबुक्स शीर्षक :- कोरोना की भयानक त्रासदी से बमुश्किल ही कोई शख्स अनछुआ   रहा हो, अमूमन   उस दौर की मुश्किलात से हर कोई दो चार हुआ किन्तु अरुण अर्णव खरे जी ने एक लेखक मन ने उसको और गहराई से जाकर देखा समझा, तो उन्हें कहीं इंसानियत नज़र आई,   कहीं सौहार्द और आपसी भाई चारा और मानवता ,पर   सबसे अहम् ये, कि     इस सबके बीच जिंदादिली भी हमेशा   बरक़रार रही ।   ऐसी ही जिंदादिली बरक़रार रखने की महान   हास्य सम्राट चार्ली चेपलिन की कही हुयी बात कि “हँस   लो तो सारा तनाव गायब हो जाता है सोचने समझने की शक्ति बढ़ जाती है”    याद रख खुश बने रहने वाले लोग भी थे । उसी प्रेरणा दायक सन्देश को पुस्तक के शीर्षक हेतु चुना है।                         क्यूँ पढ़ें:- “चार्ली चैप्लिन ने कहा था” ख्यातिलब्ध लेखक एवं स्थापित व   मशहूर व्यंग्यकार अरुण अर्णव खरे जी की एक बेहतरीन कृति है, जो की कोरोना काल की विभीषिका के पश्चात मानव मन की भिन्न भिन्न दशाओं   को   कहानी के माध्यम से सहज व सरल तरीके से   सुंदर कथानक के साथ दर्शाती