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Sundar Sooktiyan By Heero Wadhvani

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  सुन्दर सूक्तियां सूक्तिकार : हीरो वाधवानी प्रकाशक : अयन प्रकाशन                प्रस्तुत पुस्तक “सुन्दर सूक्तियां” साहित्य में गद्य एवं पद्य की विद्यमान प्रसिद्द ,चर्चित एवं प्रचलित विधाओं से हट कर लुप्त होती विधा है।   सूक्ति के क्षेत्र में उस रूप में लेखन की अधिकता नहीं देखने को मिलती जितनी   गद्य और कविता में की जा रही है , हालांकि क्षणिका और छंद में भी कम कार्य हुआ है किन्तु , अभी भी उनकी उपस्थिति अनुभव कर ली जाती है।   सूक्तियों   के माध्यम से भाव प्रकट करना रचनाकार हेतु एक कठिनतम कृत्य है जहाँ शब्द न्यूनतम होते हुए भी उन्हें सम्पूर्ण सन्देश प्रकट करने की अनिवार्यता भी होती है।   निःसंदेह यह एक जटिल लेखन की विधा है तथा सूक्ति लेखन, अत्यंत तजुर्बेकार, भावनाओं की अभिव्यक्ति में स्पष्टता, एवं वृहद् शब्द ज्ञान रखने वाले व्यक्ति द्वारा ही संभव है।                यूं तो यह लुप्तप्राय विधा है किन्तु इसके साथ ही साथ यह वर्तमान प्रचलित लीक से हटकर कुछ अलग करने की पहल  भी है , जिसे वाधवानी जी ने अपने लेखन के माध्यम से सम्मुख रखने का सफल यत्न किया है ।  सूक्तियों  के माध्यम से वे न

Shri Ramayana By M. I. Rajasve

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  श्री रामायण द्वारा      : एम. आई. राजस्वी प्रकाशक: FINGERPRINT रामायण के रचयिता वाल्‍मीकि ने प्रथम अलंकृत काव्‍य लिखकर समस्‍त पश्चातवर्ती भारतीय कवियों के लिए आदर्श प्रस्‍तुत   किया था। वाल्मीकि रचित रामायण में राम की   कथा बहुत विस्‍तार से वर्णित है।   वाल्‍मीकि की दृष्टि   इतनी सूक्ष्म और कल्‍पना-शक्ति इतनी उर्वर है कि प्रत्येक दृश्‍य को उन्‍होंने सुन्दर विस्‍तार प्रदान किया है।   रामायण का विभाजन सात खण्डों में हुआ है यथा - बालकाण्‍ड , अयोध्‍याकाण्‍ड ,  अरण्‍यकाण्‍ड , किष्किन्धा कांड , सुन्दरकाण्‍ड , लंकाकाण्‍ड तथा उत्तरकाण्‍ड। रामायण काल की बात करें तो रामायण की रचना पाँचवी शताब्दी ई. पू.   में मानी जाती है जो महाभारत के पूर्व का घटना क्रम है एवं महाभारत में रामायण की पूरी कथा वर्णित है और   राम के जीवन से सम्‍बद्ध कुछ स्‍थलों को वहाँ तीर्थ के रूप में देखा गया है। रामायण का   संकेत जैन और बौद्ध ग्रन्‍थों से भी प्राप्‍त होता है। रामायण के केंद्र में स्थल   अयोध्या नगरी है , वहां के राजा दशरथ   जो की पूर्व ज़न्म में मनु थे    एवं उनकी कौशल्या ,  कैकेयी   और   सुमित्रा  

Batao Manu By Sushma Singh

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  बताओ मनु द्वारा         :- सुषमा सिंह प्रकाशन:- हिन्द युग्म सनातन धर्म के अनुसार मनु संसार के प्रथम योगी पुरुष थे। शास्त्रों के अनुसार दुनिया में सबसे पहले आना वाला मनुष्य मनु   को   ही कहा गया है। वह जगत पिता ब्रह्मा जी के मनस संकल्प से उत्त्पन्न हुए थे एवं मनुष्यों की सामाजिक तथा धार्मिक विधि संहिता का संयोजन किया , जिसे “मनुस्मृति” के नाम से जाना जाता है।   प्रथम मनु के संग प्रथम स्त्री थी शतरूपा। । इन्हीं प्रथम पुरुष और प्रथम स्त्री की सन्तानों से संसार के समस्त जनों की उत्पत्ति हुई। मनु की सन्तान होने के कारण वे मानव या मनुष्य कहलाए। । शास्त्रों में मनुस्मृति को सबसे महत्त्वपूर्ण ग्रंथ कहा जाता है। हालाँकि बहुधा उसकी गलत व्याख्या होने से अर्थ का अनर्थ ही होता रहा हैं। मनुस्मृति में स्त्री के आगमन , चरित्र , उसके हाव-भाव सहित तमाम वह बातें जो एक स्त्री को परिभाषित करती हैं , बताई गई हैं।   शीर्षक :-        मनु कहते हैं कि स्त्री को मर्यादाओं का पालन करना चाहिए क्योंकि एक मर्यादा में बंधी स्त्री ही वास्तव में स्वतंत्रता का आनंद ले सकती है। मनु स्मृति की व्याख्या को