Abhaasi Duniya Ka Sach Edited By Dilip Kumar Pandey & Atul Kumar Sharma
“आभासी
दुनिया का सच”
विधा
: आलेख
सम्पादन
: दिलीप कुमार पाण्डेय एवं अतुल कुमार शर्मा
प्रथम
प्रकाशन वर्ष : 2025
आस्था
प्रकाशन गृह द्वरा प्रकाशित
मूल्य
: 295.00
समीक्षा
क्रमांक : 184
पुस्तक
“आभासी दुनिया का सच”, विषय पर विभिन्न
क्षेत्रों की ज्ञानी, जानी मानी 33
हस्तियों यथा साहित्यकार, शिक्षक, आदि द्वारा कंप्यूटर-मीडिया एवं इनफार्मेशन टेक्नॉलजी
आधारित वातावरण जिसे बहुलता में आभासी दुनिया कहा जाता है, के विषय में उनके अपने विचारों का संग्रह है। जैसा
मैंने प्रारंभ में ही कहा की 33विभिन्न क्षेत्रों से सम्बद्ध शख्सियतों ने विषय पर
अपने अपने विचार रखे है और अमूमन सभी ने इस के प्रभावों, दुष्प्रभावों पर अपनी बात
रखी है। पुस्तक में भिन्न भिन्न महारथियों के लेख पढ़ कर मैंने जो जाना वह आगे आपके लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ, उसके पहले उन महनुभावों के नाम अवश्य लेना चाहूँगा जिनसे इस पुस्तक को
संपूर्णता प्राप्त हुई-
सर्व श्री जयप्रकाश तिवारी, राकेश वशिष्ट, रामपाल श्रीवास्तव, चंदरेश्वर, अजय शर्मा, धर्मपाल साहिल, अजय शर्मा, मधुर कुलश्रेष्ठ, टेजबीर सिंह, सोमेश चंद्र, सैली बलजीत लेखराज शर्मा, जवाहर धीर, ज्ञानेन्द्र पांडे, राजकुमार शाही, योगेंद्र वृजवासी, यश चोपड़ा, राजीव झा, विनय राग, मनमोहन गुप्ता देव कुमार सिंह, गोपाल प्रसाद पाठक, शिवकुमार, श्याम चरण शर्मा, संदीप छीपा, संदीप सचेत, श्रीपाल शर्मा राजेश श्रेयश एवं सुश्री नीलू शर्मा, कृति पांडे, सोम्या पांडे, सीमा भाटिया, स्पर्शी शर्मा।
हालांकि
प्रयास अच्छा है किन्तु शायद समय के मापदंडों पर खरा नहीं उतर सका एवं पुस्तक की
प्रस्तुति में हुआ विलंब स्पष्टतः लक्षित है इस पुस्तक की प्रस्तुति बहुत न भी हो
तो कम अज कम आज से शायद 10 वर्ष पहले होती
तो अवश्य ही कुछ प्रभावी होती, वहीं किसी विज्ञान विद् अर्थात IT world की किसी हस्ती या कहें की विषय
विशेषज्ञ का एक भी लेख न होना खलता है क्यूंकि
यह मुद्दा जितना सामाजिक है उतना ही वैज्ञानिक, सो सब कुछ एक
तरफ़ा कार्यवाही जैसा प्रतीत होता है, क्यूंकि अधिकांश आलेख साहित्य जगत से जुड़ी हुई
शख्सियतों के ही हैं।
सर्वमान्य
तथ्य है की विगत एक दशक के लगभग से प्रारंभ होकर वर्तमान काल तक में भी आभासी
दुनिया का जिस तरह से विस्तार हुआ है उसके मद्देनज़र संभवतः उस से अलग रहकर आप एक सक्रिय सामान्य जीवन की
कल्पना भी शायद न कर सकें जो की कहीं भी संपन्नता एवं उच्च ज्ञान स्तर जैसे तथ्यों
पर आधारित नहीं होता एवं समाज में प्रत्येक वर्ग के व्यक्ति की आवश्यकता बन चुका
है, उस विषय पर साहित्यकारों के लेख लेखन की दृष्टि से तो उत्तम कहे जा सकते हैं
किन्तु विषय के साथ कितना न्याय किया जा सका यह निर्धारण तो पाठक को स्वयं ही करना
होगा। “एक विचार और साझा करना चाहता हूँ कि आज जब
विज्ञान एवं जीवन के अधिकांश क्षेत्रों पर AI अर्थात Artificial Intelligence
का प्रभाव त्वरित गति से देखने में आ रहा हो, यह
प्रयास बहुत कुछ सांप के निकल जाने के पश्चात लाठी पीटने के समान ही प्रतीत होता
है।
आभासी
दुनिया (Virtual
World) अर्थात कंप्यूटर-आधारित वातावरण जो कि वास्तविक दुनिया न
होकर एक आभास ही हो सकती है जो की महज़ कल्पनात्मक और रचनात्मक होती है। जहां आभासी
दुनिया में उपयोगकर्ता आभासी वस्तुओं और पात्रों के साथ बातचीत कर सकते हैं किन्तु
उनकी वास्तविक उपस्थिति के बगैर। यथा विभिन्न प्रकार के वीडियो गेम्स जिसने सबसे
पहले एक छोटे बच्चे से लेकर बड़ों के द्वारा घर घर में घुसपैठ कर ली थी वहीं सोशल
मीडिया प्लेटफ़ॉर्म आभासी दुनिया का वह कुआं है जिसमें कहना उचित ही होगा की
सम्पूर्ण सामाजिक व्यवस्था आकंठ डूब चुकी
है तथा सामाजिक दायरों से सिमट कर अब व्यक्ति ने अपने चारों ओर आभासी दुनिया के दायरे
निर्मित कर लिए हैं , उपयोगकर्ता आभासी
प्रोफाइल और समुदायों के साथ बातचीत कर ने में ही व्यस्त हो गए हैं जिसके द्वारा
उनका परिचय आभासी दुनिया में उपलब्ध मनोरंजन के नए और रोचक तरीकों से होता है जबकी
वे यथार्थ से बहुत दूर जा चुके होते हैं या कहें की सर्वथा यथार्थ से कात जाते
हैं।
इसके सकारात्मक प्रभाव की भी बात कर लें तो शिक्षा
और प्रशिक्षण के क्षेत्र में यह स्वयं को एक प्रभावी माध्यम के रूप में साबित कर
चुकी है। वहीं आभासी दुनिया लोगों को नए और अनोखे तरीके से जुड़ने और बातचीत करने
का अवसर प्रदान करती है जो निश्चय ही उनके सामाजिक दायरे को बढ़ रहा है। यह तो विख्यात
है कि आभासी दुनिया में कुछ भी यथार्थ नहीं है जैसे की आभासी मित्रता, किंतु आभासी दुनिया के सच पर विचार करने से पहले,
यह समझना महत्वपूर्ण है कि आभासी दुनिया एक जटिल और बहुस्तरीय
वातावरण है।
आभासी
दुनिया में कुछ पहलू यथार्थ नहीं हो सकते हैं, लेकिन इसके सकारात्मक पहलू भी हैं
जिनमें सच्चाई भी हो सकती है यथा आभासी दुनिया में बनाए गए संबंध वास्तविक रूप भी ले सकते हैं और लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव
डाल सकते हैं या कहें की डालते हैं यथा सोशल मीडिया की मित्रता का जीवनसाथी बन
जाना अथवा ऑन लाइन साक्षात्कार के द्वारा हजारों कोस दूर की कंपनी अथवा संस्थाओं में चयन। वहीं
बहुतेरे आभासी दुनिया के अनुभव वास्तविकता
में भी हो सकते हैं एवं संबंधित को नवीन दृष्टिकोण और समझ प्रदान कर सकते हैं। आभासी
समुदाय की महत्ता से कौन वाकिफ नहीं है बहुतेरे एनजीओ आज आभासी दुनिया में समुदाय बना कर ही देश विदेश तक
सेवाएं दे रहे हैं वे भी वास्तविक दुनिया
के समुदायों की तरह ही काम करते हैं और लोगों से भरपूर को समर्थन हासिल करते हैं
साथ ही संबद्धता बनाए रखते हैं।
तो
यह तो तय है कि आभासी दुनिया के सच को समझने के लिए, यह भी महत्वपूर्ण है कि हम इसके विभिन्न पहलुओं पर विचार करें और इसके
प्रभावों को समझें एवं मात्र उसकी नकारात्मकता को ही कबीले गौर लेकर मानस न बनाएं।
जैसा की मैंने पहले कहा की आभासी दुनिया एक जटिल और बहुस्तरीय वातावरण है जो हमारे
जीवन को विभिन्न तरीकों से प्रभावित कर सकती है। आभासी दुनिया के विभिन्न पहलुओं
का विस्तृत विवेचन और उनके प्रभाव पर आगे बात करें उसके पूर्व यह समझना भी जरूरी
हो जाता है कि आभासी दुनिया एक जटिल और बहुस्तरीय वातावरण है जिसके विभिन्न पहलू हैं जैसे की सामाजिक पहलू, आर्थिक
पहलू यथा ऑनलाइन शॉपिंग, डिजिटल भुगतान और बिटकॉइन जैसी आभासी मुद्राएँ।
आभासी
दुनियाँ के सर्वाधिक महत्वपूर्ण, शैक्षिक
पहलू जिसके द्वारा शैक्षिणिक संसाधन और अवसर उपलब्ध हुए हैं उन्हें नकारना संभव
नहीं होगा जिनके जरिए अनगिनत लोगों को नया कौशल एवं बहुतेरे नवीन क्षेत्रों में ज्ञानार्जन
करने में मदद मिली हैं तो मनोरंजन पहलू को तो कतई भुलाया ही नहीं जा सकता यथा
वर्तमान जीवन शैली की कल्पना विभिन्न आभासी वास्तविकता अनुभव, और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग सेवाओं के बिना कर के तो देखिए।
आभासी
दुनिया ने अवसर के बाहुल्य के साथ साथ बेशक बहुतेरी चुनौतियाँ प्रस्तुत करी हैं जिनहे नकार पाना
संभव नहीं है यथा साइबर सुरक्षा, गोपनीयता, AI के आगमन के पश्चात नौकरियों पर मंडराता खतरा। यह
समय की माँग के साथ साथ सुविधा के स्तर पर
भी सकारात्मक प्रभाव रखता है किन्तु इसके विभिन्न पहलुओं और प्रभावों को समझने के
पश्चात हम आभासी दुनिया का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकते हैं और इसके
चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। बात करें यदि आभासी दुनिया की जटिलता की तो मूलतः
हमें तकनीकी जटिलताओं जैसे कि सोशल मीडिया,
ऑनलाइन गेम्स, और वर्चुअल रियलिटी से अवगत
रहना होगा साथ ही अपने डाटा,पसवॉर्ड इत्यादि की सुरक्षा, गोपनीयता के विषय में जागरूक होना होगा वहीं ऑनलाइन उत्पीड़न और साइबर
बुलिंग जैसे नकारात्मक प्रभावों ऑन लाइन खेल एवं उनमें हारे गए पैसों के कारण
अनेकों युवाओं द्वारा जीवन घातक कदम उठाए जाना कहीं न कहीं अल्प ज्ञान एवं लालच ही
दर्शाता है इसके साथ ही मानसिक जटिलताओं यथा, आनंद, तनाव चिंता और Fake ID से
बचाव जैसे क्षेत्रों में पारंगत न सही मूलभूत जानकारी रखना होगी अन्यथा हमारी तथा
हमारे परिवार एवं धन संपदा की सुरक्षा और गोपनीयता साइबर हमले और हैकिंग के द्वारा
सदा खतरे में होगी क्यूंकि हैकर के लिए आपकी गोपनीयता का उल्लंघन ही उसकी जीत है
एवं यह आर्थिक पारिवारिक और व्यावसायिक चुनौतियां रोक सकता है।
अतुल्य
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें