ASIA KI LOK KATHAYEN BY RAMESH KHATRI

 

एशिया की लोक कथाएं

द्वारा रमेश खत्री

विधा : कहानी संकलन

मोनिका प्रकाशन जयपुर द्वारा प्रकाशित

प्रथम संस्करण : 2022

मूल्य: 350.00

पाठकीय प्रतिक्रिया क्रमांक : 152


 वरिष्ट लेखक संपादक एवं प्रकाशक रमेश खत्री जी  द्वारा प्रस्तुत पुस्तक “एशिया की लोक कथाएं” तकरीबन 20 राष्ट्रों की लोक कथाओं का संकलन है। जिसमें लेबनान, रशिया, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, मलेशिया, इज़राइल, साइप्रस, उज्बेकिस्तान, कंबोडिया, यूनान, जापान, मॉरीशस, तिब्बत आदि देशों की लोक कथाओं को सँजोया गया है। इतनी विभिन्न संस्कृतियों  की लोक कथाएं एक ही पुस्तक में प्राप्त होना ही अपने आप में अत्यंत सुखद है एवं खत्री जी का भागिरथी प्रयास सराहनीय।


पुस्तक के विषय में कुछ बात करें उसके पहले यह जान लेना आवश्यक  है की लोक कथाएं क्या हैं। अत्यंत सरल एवं साधारण रूप में कहा जा सकता है कि लोक कथाएं ऐसी कहानियाँ हैं जो पीढ़ियों से मौखिक रूप से सुनाई जाती हैं और समाज में लोकप्रिय होती हैं। ये कहानियाँ अक्सर पारंपरिक ज्ञान, मूल्यों, और संस्कृति को प्रस्तुत करती हैं और समाज के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं एवं काफी हद तक सामाजिक नियम रीति रिवाज इत्यादि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक यही  पहुँचाती हैं।

लोक कथाएं अक्सर प्रतीकात्मक भाषा का उपयोग करते हुए गहरे अर्थ और संदेश देती हैं तथा सबसे खास बात यह की ये  मनोरंजन का साधन भी होती हैं व इनका कहन  इतना रोचक होता है की सहज ही श्रोताओं को आकर्षित करती हैं। लोक कथाये विभिन्न प्रकार की होती हैं यथा  पौराणिक ,ऐतिहासिक कथाएँ, सामाजिक कथाएँ आदि 

लोक कथाएं मात्र मनोरंजन का साधन ही नहीं होती अपितु समाज पर भी इनका व्यापक प्रभाव देखा जाता है जैसे की इनके जरिए संस्कृति संरक्षित रहती है तथा अगली पीढ़ियों तक पहुंचती है और हमारे सामाजिक नियमों , मूल्यों , आदर्शों , क्षेत्रीय ऐतिहासिक घटनाओं एवम अल्प ज्ञात  तथ्यों  का  संवाहन करती हैं 

बहुत बार देखा गया है की लोक कथाएँ सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देती हैं और समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ने में सक्रिय भूमिका अदा करती हैं। लोक कथाओं द्वारा सामाजिक चेतना एवम जन जागृति का श्रेष्ठ उदाहरण हमें भारत वर्ष की 1857की क्रांति के दरम्यान देखने को मिलता है।

लोक कथाएं क्षेत्रविशेष की संस्कृति से परिचित् करवाने में भी सहायक हैं। ये कथाएँ किसी क्षेत्र की संस्कृति, परंपरा, मूल्यों, और जीवनशैली को प्रतिबिंबित करती हैं। 

लोक कथाओं की क्षेत्रीय भाषा और बोली के द्वारा क्षेत्र  की भाषाई विशेषता का पता चलता है। वहीं लोक कथाएँ उस  क्षेत्र की परंपराओं और रीति-रिवाजों व  रहन सहन को दर्शाती हैं, जिससे क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान एवम आर्थिक स्थिति का पता चलता है।

यहां यह भी स्पष्ट करना आवश्यक प्रतीत होता है की लोक कथाएं दंत कथाओं  जैसी होते हुए भी उन से तनिक भिन्नता  भी रखती है किन्तु लोककथाएं और दंतकथाएं दोनों ही समाज की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

हालांकि वर्तमान में आधुनिकीकरण, तेज रफ्तार ज़िंदगी, परस्पर संवादहीनता की स्थिति, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की सहज एवं अपेक्षा से अधिक उपलब्धता एवं सामान्य  व्यक्ति के जीवन में दखलंदाज़ी  लोक कथाओं का चलन एवं उपलब्धता विलुप्तप्राय है जिसे किसी भी तरह से बचाया जाना चाहिए।

रमेश जी द्वारा प्रस्तुत इस लोक कथा संकलन में विभिन्न देशों की लोक कथाएं प्रस्तुत की गईं हैं जो वहाँ की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, और प्रतीकात्मक विशेषताओं पर आधारित हैं। प्रस्तुतीकरण के लिहाज से उनके रूप स्वरूप में कुछ न कुछ बदलाव भी अवश्य ही किया गया होगा किन्तु फिर भी कहानियाँ पठनीय हैं लोक कथा होने की वजह से उसमें किसी अत्यंत विशेष कथानक होने की अपेक्षा करना ज्यादती ही होगी सरल भाषा सरल बात जो की एक लोक कथा के प्रमुख अंग हैं इन कहानियों में भी दिखलाई पड़ते हैं।

पठनीय संकलन है।

अतुल्य 

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