Triveni By Rashmi Sinha Kishwar Anzum Varsha Garg

 

समीक्षा क्रमांक 97

त्रिवेणी

कविता संग्रह (संयुक्त)

द्वारा : रश्मि सिन्हा , किश्वर अंजुम एवं वर्षा गर्ग

वनिका पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित

मूल्य : 350.00

पृष्ट   :184         

 


त्रिवेणी, शब्द मात्र से मानो पवित्रता एवं निर्मलता का संदेश स्वतः प्रवाहित हो जाता है।

भारतवर्ष  में सर्वदा मातृवत  वंदित एवं पूज्य पवित्र  गंगा का यमुना और सरस्वती के  संग, संगम स्थल हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है,  वैसी ही निर्मलता एवं शुचिता अपने में समेटे तीन सुविख्यात विदुषियों की कृति समीक्ष्य पुस्तक त्रिवेणी भी वर्तमान साहित्य जगत के सागर में एक दुर्लभ मोती के रूप में प्रस्तुत हुई है जिसका पाठन निश्चय ही एक अविस्मरणीय प्रसंग होगा।

साहित्य जगत में ख्यातिलब्ध कवियात्रियाँ रश्मि जी, किश्वर अंजुम जी एवं वर्षा गर्ग जी साहित्य में अपने सतत उल्लेखनीय योगदान के कारण श्रेष्टता के उत्तंग शिखर पर हैं जहां वे किसी परिचय की मोहताज नहीं।


यह तीनों ख्यातिलब्ध कवीयत्रीयों की चुनिंदा कविताओं का संकलन है किन्तु स्पष्टतः कहना चाहूँगा की एक पुस्तक की सीमा में बांध कर तीनों ही विदुषी कवीयत्रियों की प्रतिभा के साथ अन्याय हुआ है। तीनों ही स्वतंत्र रूप से अपनी कविताओं के कई संग्रह प्रस्तुत करने में सक्षम हैं और तब भी उनकी कृतियाँ शेष ही रहेंगी। इस संग्रह से सुधि पाठक की एक सुंदर कृति पढ़ने की क्षुधा जागृत मात्र ही हुई संतृप्त नहीं।    

पुस्तक की चंद कविताओं को पढ़ने के पश्चात सबसे पहला सवाल ज़ेहन में यही कौंधता है की आखिर क्यू इन्हें सीमित कर दिया गया। किन्तु पाठकों की दृष्टि से उपयुक्त भी कहा जा सकता है की उनके लिए तो एक ही स्थान पर गागर में सागर वाली उक्ति चरितार्थ हुई है । निश्चय ही प्रस्तुत कविता संग्रह रश्मि सिन्हा, किश्वर अंजुम तथा वर्षा गर्ग की त्रिमूर्ति का साहित्य जगत को एक बहुमूल्य योगदान है ।

न्यूनतम शब्दों में भाव अभिव्यक्ति कविता का विशेष गुण है एवं इस गुण को  रश्मि सिन्हा, किश्वर अंजुम तथा वर्षा गर्ग ने खूबसूरत अंदाज में एक किताब की शक्ल में बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया है। फिर भी हर कवीयत्री की शैली भिन्न है रचनाएं पठनीय हैं एवं प्रत्येक रचना दूसरे से बेहतर है तो बेहतर होता यदि वे स्वतंत्र रूप से अपनी पुस्तक में अपनी अधिकतम रचनाओं का समावेश कर पाठक की साहित्यिक भूख  को संतृप्त करने में योगदान देती। अभी तो मानो घाट पर आकर भी पाठक प्यासा  सा ही रह जाता है   

रश्मि सिन्हा, वरिष्ठ कवियत्री हैं जो कि जन साधारण की भाषा में सामान्य, आम जन के विषयों को आम जन के शब्दों में लिखती है, उनकी अभिव्यक्ति स्पष्ट है तथा भावों को दायरे में बांधते हुए कम ही दिखलाई पड़ता है । बेहद सरल रूप में भाव प्रकट करने हेतु आवश्यक शब्दों का सहज चयन है तथा उसमें शब्द अंग्रेजी से आ रहा है अथवा उर्दू से क्लिष्ठ् है अथवा सामान्य बोलचाल की भाषा से वे परवाह नहीं करती। कह सकते हैं की उनकी कविता का मुख्य उद्देश्य भाव सम्प्रेषण  ही है, तथा उसके लिए वे विभिन्न प्रयोगों से गुरेज नहीं करती । उनकी कविता को  सरलता और संवाद हेतु बहुत स्पष्ट रूप से जाना जा सकता है । उनकी कविता को सामान्य जन के भाव का  प्रतीक माना जा सकता है।

उनकी कविताएँ आम जनमानस की भावनाओं, जीवन की छोटी-मोटी खुशियों और दुखों को सुनाती हैं। रश्मि जी की अमूमन हर कविता अपने आप में एक विशेष सोच लेकर चलती है । मूल भाव पर केंद्रित करते ही पाठक को चिंतन हेतु बाध्य कर देने वाले प्रवाह के संग उनकी प्रत्येक कविता उनकी गहन सोच एवं परिपक्व चिंतन प्रक्रिया की परिचायक है। उनकी सरल , हृदयगम्य  शैली और सरल शब्दों का प्रयोग उनकी कविताओं को आसानी से समझने में मदद करता है।

विदुषी कवियत्री की कविताओं में सामाजिक मुद्दे, जीवन के मामूली पल, प्रकृति के सौंदर्य, और मानवीय संबंधों का महत्व उजागर किया जाता है। उनकी रचनाओं में सद्गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, और अपनी कविता के माध्यम से समाज को सोचने और सहयोग करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं।

वही किश्वर अंजुम जी की कविताओं में भावों की अभिव्यक्ति एक भिन्न ही रूप में लक्षित होती है, हिन्दी के चुनिंदा शब्दों के प्रयोग के साथ साथ उर्दू के अल्फ़ाज़ का भी समुचित प्रयोग बखूबी करती हैं जो उनकी कविता को एक अलग ही आयाम देता है। उनकी रचनाओं को पढ़ते हुए बहुत कुछ किसी मुशायरे का सा आनंद मिलता है। उनके भाव अल्फ़ाज़ के खूबसूरत इस्तेमाल से निखर निखर उठते हैं। भाव अभिव्यक्ति की सीमाएँ भाषा नहीं हो सकती , और कविता का महत्व तथा उत्तरदायित्व भाषा के साथ-साथ भावनाओं और विचारों के प्रति भी होता है।

उर्दू और हिंदी भाषा के सम्मिश्रण के संग साहित्य में विदुषी कवियत्री  अपनी श्रेष्ठ कविताओं के माध्यम से भाषाओं के सौंदर्य को प्रस्तुत किया है। अंजुम जी की कविताओं में एक सरल सहज रवानगी है , खूबसूरत मौलिक प्रस्तुति ,सरस भाव युक्त कविताएं , भाषाई सौन्दर्य की बिना पर अंतर्मन में गहरी पैठती हैं। 

कवियत्री की कविताओं में अभिव्यक्ति, और विचारशीलता , भावनाओं में अंतर्निहित विचारशीलता उल्लेखनीय है । वे भाषाई गहराइयों को पूर्ण गंभीरता से निबाहते हुए अपनी कविताओं के माध्यम से विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक, और मानवीय मुद्दों पर विचार रखती हैं। उनकी कविताएँ हिंदी साहित्य को और भी गरिमामय बनाती हैं और भाषाई आदर्श के रूप में कार्य करती हैं।

 

संग्रह के माध्यम से अन्य कवियत्री  जिनसे आपका परिचय होता है वे  वर्षा गर्ग जी हैं जिन्हें किसी भी परिचय की कतई आवश्यकता नहीं है, आधुनिक साहित्य जगत में चिरपरिचित हस्ताक्षर हैं, अपनी सहज सरल शैली हेतु बहुत लोक प्रिय होने के संग संग आदर एवं सम्मान से याद की जाती हैं , वे  सामाजिक और घरेलू परिवेश से जुड़ी हुई कविताओं के माध्यम से आम लोगों की आवाज  हैं। उनकी कविताएं आम जनमानस की समस्याओं, आशाओं, और उनके जीवन के उतार चढ़ाव को दर्शाती हैं,  जिससे समाज को समझने में मदद मिलती है।

इसके अलावा, उनकी कविताओं में घरेलू जीवन की छवि और रूचिकर घटनाओं का भी वर्णन होता है।उनकी कविताओं में  जीवन के लगभग हर भाव तथा रस को श्रेष्ठ शब्दों के मोतियों की माला में पिरोकर प्रस्तुत किया है। वे अक्सर घरेलू मुद्दों को उजागर करति हैं। उनका काव्य , समाज को दिशा दर्शाने  वाला एवं जागरूक करने में मददगार होता है और सामाजिक परिवर्तन हेतु  दिशा प्रदान करता है।

वे विविधता के संग अपनी लेखनी से विभिन्न भावों से सुसज्जित खूबसूरत रचना प्रस्तुत करती हैं, जो उनके पाठक वर्ग को निश्चय ही पाठन के संग संग विचरण हेतु भी विवश करती हैं।  

यूं तो संग्रह की प्रत्येक कविता श्रेष्ठ है एवं चंद कविताओं की पंक्तियाँ उल्लिखित कर उस पर अपनी टिप्पणी देकर  लेख को अनावशयक विस्तार देना मेरा मकसद नहीं है  अतः मात्र उन कविताओं के विषय में ही कुछ कहूँगा  जिन्होनें मुझे कहीं न कहीं विवश किया सोचने पर। वह भी मात्र शीर्षक ही दे रहा हूँ। चंद कविताओं को यहाँ प्रस्तुत कर पाठक की सोच एवं आनंद को एक दायरे में सीमित करने का प्रयास ही होगा अतः मेरा निवेदन है की सभी श्रेष्ठ रचनाएं हैं ,स्वयम कविताऑ को पढ़ें व उसका आनंद लें। फिर भी वे रचनाएं जो मुझे अधिक प्रभावित कर गईं ।

 बात करू रश्मि जी की कविताओं की तो ये वे रचनाएं हैं जिन्हें आप अवश्य ही बार बार पढ़ना चाहेंगे जैसे “उदास शाम”, “इंतज़ार”, “परचम”, “पत्थर दिल” , “सत्य” , “मैं” और “चेहरा” विशेष तौर पर आकृष्ट करती हैं व अपने पीछे कुछ छाप छोड़ जाती हैं,  मानो विभिन्न रंगों से केनवास सजा दिया गया हो कुछ ऐसी ही रश्मि जी की रचनाएं हैं तथा किसी एक या कुछ कविताऑ  को विशिष्ठ बता पाना संभव नहीं , उनकी प्रत्येक रचना एक अलग ही भाव एवं दृष्टिकोण से लिखी जाती है एवं निश्चय ही कुछ सोचने हेतु विवश कर दे ती है।

किश्वर अंजुम जी की कविता “रचती हूं मैं कविता”, “शोर” , “अनदेखे ज़ख्म” , “कलम” , “अनल अविराम” ,  “प्रेम धारा” , “निद्रा” , “वो इक दरीचा” और “तुम्हें पता है न” आदि बेहतरीन प्रस्तुति है, सुंदर भाषा  प्रवाह है संतुलन एवं वाक्य विन्यास ध्यान आकृष्ट करता है कविताएं हृदय को भीतरी तह तक भिगो जाती हैं । भाषाई गंगा यमुना संगम बेहद खूबसूरत है तथा हिन्दी के श्रेष्ट शब्दों को बेहद प्यारी उर्दू भाषा के संग जिस तरह से मिला कर प्रस्तुत किया है वह अद्वितीय है।  

संग्रह में वर्षा जी  की भी बेहतरीन कविताओं से रूबरू होने का अवसर मिलता है तुकबंदी से परहेज करते हुए भाव प्रकट करने हेतु शब्दों का सुंदर सरल चयन है। ज़िंदगी के खूबसूरत पलों को सुंदर शब्दों में प्रस्तुत कर उन पलों की खूबसूरती और भी बढ़ देती हैं चंद बानगी इस तरह हैं : इंतजार , वादा , दरवाजे ,  उम्मीद , वर्फ , आस , न्यूनतम , अमलतास , ज़िंदगी , आशाएं चाँद और मैं जैसी अनेकोननेक कविताएं हैं कहीं शिकायत तो कहीं प्यार  कहीं कुछ संदेश है तो कहीं पुरानी यादों को जीने की ललक । प्रेम का भाव सुंदरता से प्रमुखता लिए हुए लक्षित होता है 

निर्विवादित रूप से एक पठनीय एवं संग्रहणीय काव्य संग्रह । विविधताओं से युक्त अत्यंत सुंदर प्रस्तुति हेतु विदुषी त्रय को अनेकोंनेक साधुवाद एवं शुभकामनाएं   

अतुल्य

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