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Tum Mere Azeez Ho By Pankaj Trivedi

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  तुम मेरे अज़ीज़  हो: कविता संग्रह लेखक:  पंकज त्रिवेदी   विधा : कविता प्रकाशक : विश्वगाथा प्रथम संस्करण : अगस्त 2024 द्वितीय संस्करण :सितंबर   2024 मूल्य : 200/- समीक्षा क्रमांक : 143 विगत   चार दशकों से साहित्य जगत में अपनी निर्बाध सतत सक्रियता एवं विशिष्ट सहयोग के कारण अपनी पहचान बना चुके वरिष्ठ संपादक, लेखक   पंकज त्रिवेदी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।   उनके सृजन   में अभी तलक जहां हिन्दी एवं गुजराती भाषा में   कहानी संग्रह, निबंध संग्रह, लघु उपन्यास ,   सूक्तियाँ एवं अनूदित साहित्य आदि सम्मिलित थे वहीं अब इस कड़ी में नया मोती उनका सद्य प्रकाशित कविता संग्रह “तुम मेरे अजीज हो” है जिस के द्वारा उन्होंने अभी तक अनछुए कविता के क्षेत्र में भी अपनी सशासक्त उपस्थिति दर्ज करवा दी है। पुस्तक की रचनाओं से गुजरते हुए आप कहीं न कहीं उन कविताओं से स्वयम को जुड़ता हुआ पाएंगे जिनमें बेहद सरल सीधे और सच्चे भावों का सहज सम्प्रेषण है।     उनकी अधिकांश कविताओं से प्रेम की झलक अपने विभिन्न रूपों में मिलती है किन्तु उनका प्रेम भौतिकता से परे   जाकर भी अपना एहसास करवा रहा है।   प्रस्

Subakte Pannon Par Bahas By Devendra Dhar

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  सुबकते पन्नों पर बहस विधा : काव्य द्वारा : देवेंद्र धर विंब- प्रतिविम्ब प्रकाशन द्वारा प्रकाशित   प्रथम संस्करण : 2023 मूल्य: 300 समीक्षा क्रमांक : 142                                                                        “अब मै वो गीत नहीं लिखूंगा जो कानों तक नहीं पहुंचते   जब भिवगीत लिखता हूं   वो बांझ हो जाते हैं   नपुंसक हो जाते हैं ये गीत   स्याही बंजर हो जाती है   क्या करोगे वो गीत लिख कर   जो टूटे फूटे चल रहे हैं   फिर भी गीत लिखना मजबूरी है   कविता का अपने अस्तित्व को खोते हुए   अपने मूल   उद्देश्य को न पाना उक्त पंक्तियों में स्पष्ट रूप से लक्षित होता है बार बार कविता की असफलता और अपनी मजबूरी झलका ता है। ये सुंदर एवं भावपूर्ण पंक्तियां हैं हिमाचल की खूबसूरत वादियों के कवि देवेंद्र धर जी के काव्य संग्रह "सुबकते पन्नों पर बहस" से, वे इसी कविता "में वो गीत नहीं लिखूंगा" में कहते भी हैं कि फिर भी गीत लिखना मजबूरी है   उन सब के लिए   अपनी पहचान बनाए रखने के लिए   उनकी कविता के भाव उन के अंदर चल रहे गंभीर विचाराओं के मंथ

Paati chacha By Sanjiv Kumar Gangvar

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  पाती चाचा विधा : कहानी द्वारा :   संजीव कुमार गंगवार गरुड़ प्रकाशन द्वारा प्रकाशित प्रथम संस्करण : 2024 मूल्य: 299.00 समीक्षा क्रमांक : 141                                                                              25 वर्षों से निरंतर साहित्य की प्रत्येक विधा को अपने सृजन से सवारते हुए संजीव जी ने अब “पाती चाचा” के रूप में अपना प्रथम कहानी संग्रह प्रस्तुत किया है। अब तक उनकी 30 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें   उपन्यास , कविता , गजल , सेल्फ इंप्रूवमेंट , बाल साहित्य , नॉन फिक्शन , मर्डर मिस्ट्री , और कहानी संग्रह शामिल हैं एवं उन की इन   प्रस्तुतियों के द्वारा जहां एक ओर उनकी बहुमुखी प्रतिभा और समस्त विधाओं पर समान नियंत्रण नजर आता है वहीं कहीं न कहीं यह लेखक के अंतर्मन की असंतुष्टि, व्यक्ति , व्यवस्था एवं समाज से अपेक्षाएं एवं कहीं न कहीं व्यवस्था तथा सत्ताधीशों के प्रति असंतोष   के साथ साथ अमूमन प्रत्येक विषय पर कुछ और बेहतर की तलाश की ललक एवं स्वयम के अंदर छुपे सर्वश्रेष्ट को   बाहर लाने की उत्कंठा भी नजर आती है।